________________ तए णं सा महासेणकण्हा अज्जा अज्जचंदणाए अज्जाए अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जित्ता बहुपडिपन्नाई सत्तरस वासाइं परियायं पालइत्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सहि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता जस्सट्टाए कीरइ नग्गभावे जाव तमढें आराहेइ आराहेत्ता चरिमउस्सासनिस्सासेहिं सिद्धा बुद्धा / [60] अट्ठ य वासा आई एक्कोत्तरयाए जाव सत्तरस / एसो खल परियाओ सेणियभज्जाण नायव्वो / / [61] एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अयमढे पन्नत्ते / [62] अंतगडदसाणं अंगस्स एगो सुयखंधो अट्ठ वग्गा अट्ठसु चेव दिवसेसु उद्दिसिज्जंति तत्थ पढमबिइयवग्गे दस-दस उद्देसगा तइयवग्गे तेरस उद्देसगा चउत्थपंचमवग्गे दस-दस उद्देसगा छ?वग्गे सोलस उद्देसगा सत्तमवग्गे तेरस उद्देसगा अट्ठमवग्गे दस उद्देसगा सेसं जहा- नायाधम्मक-हाणं / * अहमे वग्गे दसमं अज्झयणं समत्तं . * अहमो वग्गो समत्तो . 0 मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च अहमो वग्गो समत्तो 0 अंतगडदसाओ अट्ठमं अंगसुत्तं समत्तं * मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च अंतगडदसाओ समत्तो [दीपरत्नसागर संशोधितः] [30] [८-अंतगडदसाओ]