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________________ सतं-३०, वग्गो-,सत्तंसत्तं-, उद्देसो-१ [९९९]किरियावाई णं भंते! नेरइया किं नेरइयाउयं० पुच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं0, नो तिरिक्ख, मणुस्सायं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । अकिरियावाई णं भंते! नेरइया० पुच्छा। गोयमा ! नो नेरतियाउयं, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्सायं पिपकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । एवं अन्नाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । सलेस्सा णं भंते! नेरतिया किरियावादी किं नेरइयाउयं ०? एवं सव्वे वि नेरइया जे किरियावादी ते मणुस्साउयं एगं पकरेंति, जे अकिरियावादी वेणइयवादी ते सव्वट्ठाणेसु वि नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साठयं पि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति; नवरं सम्मामिच्छते उवरिल्लेहिं दोहि वि समोसरणेहिं न किंचि वि पकरेंति जहेव जीवपदे । एवं जाव थणियकुमारा जहेव नेरतिया । अकिरियावाई णं भंते! पुढविकाइया० पुच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं0, मणुस्साउयं0, नो देवाउयं पकरेंति । एवं अन्नाणियवादी वि। सलेस्सा णं भंते!0, एवं जं जं पयं अत्थि पुढविकाइयाणं तहिं तहिं मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं आउयं पकरेंति, नवरं तेउलेस्साए न किं पि करेंति । एवं आक्काइयाण वि, वणस्सतिकाइयाण वि तेठकाइया0, वाठकाइया०, सव्वट्ठाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु नो नेरइयाउयं पक0, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो मणुयाउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियाणं जहा पुढविकाइयाणं, नवरं सम्मत्तनाणेसु न एक्कं पि आउयं किरियावाई णं भंते! पंचेंदियतिरिक्खजोणिया किं नेरइयाउयं पकरेंति० पुच्छा। गोयमा! जहा अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी य चउव्विहं पि पकरेंति । जहा ओहिया तहा सलेस्सा वि । पकरेंति । मणपज्जवनाणी। कण्हलेस्सा णं भंते! किरियावादी पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं नेरड्याठयं0 पुच्छा। गोयमा! नो नेरतियाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं०, नो मणुस्साठयं०, नो देवाउयं पकरेंति । अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई चउव्विहं पि पकरेंति । जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि । तेलेस्सा जहा सलेस्सा, नवरं अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी य नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, देवालयं पिपकरेंति । एवं पम्हलेस्सावि, एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियव्वा । कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउव्विहं पि आउयं पकरेंति । सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा। सम्मद्दिट्ठी जहा मणपज्जवनाणी तहेव वेमाणियाउयं पकरेंति । [516] [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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