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________________ सतं-३०, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-१ अकसायी जहा अलेस्सा। सजोगी जाव काययोगी जहा सलेस्सा। अजोगी जहा अलेस्सा। सागारोवठत्ता अणागारोवठत्ता य जहा सलेस्सा। नेरइया णं भंते! किं किरियावादी0 पुच्छा। गोयमा! किरियावादी वि जाव वेणइयवादी वि। सलेस्सा णं भंते! नेरइया किं किरियावादी0? एवं चेव। एवं जाव काउलेस्सा। कण्हपक्खिया किरियाविवज्जिया। एवं एएणं कमेणं जहेव जच्चेव जीवाणं वत्तव्वया सच्चेव नेरइयाण वि जाव अणागारोवउत्ता, नवरं जं अत्थि तं भाणियव्वं, सेसं न भण्णति। जहा नेरतिया एवं जाव थणियकुमारा। पुढविकाइया णं भंते! किं किरियवादी0 पुच्छा। गोयमा! नो किरियावादी, अकिरियावादी वि, अन्नाणियवादी वि, नो वेणइयवादी। एवं पुढविकाइयाणं जं अत्थि तत्थ सव्वत्थ वि एयाई दो मज्झिल्लाई समोसरणाइं जाव अणागारोवउत्त ति। एवं जाव चउरिंदियाणं, सव्वट्ठाणेसु एयाइं चेव मज्झिल्लगाई दो समोसरणाइं। सम्मत्तनाणेहि वि एयाणि चेव मज्झिल्लगाइं दो समोसरणाई। पंचेंदियतिरिक्खजोणिया जहा जीवा, नवरं जं अत्थि तं भाणियव्वं। मणुस्सा जहा जीवा तहेव निरवसेसं। वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा। किरियावादी णं भंते! जीवा किं नेरतियाऽयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति, देवाऽयं पकरेंति? गोयमा! नो नेरतियाऽयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, देवाऽयं पि पकरेंति। जति देवाउयं पकरेंति किं भवणवासिदेवाऽयं पकरेंति, जाव वेमाणियदेवाउयं पकरेंति? गोयमा! नो भवणवासिदेवाऽयं पकरेंति, नो वाणमंतरदेवाऽयं पकरेंति, नो जोतिसियदेवाऽयं पकरेंति, वेमाणियदेवाउयं पकरेंति। अकरियावाई णं भंते! जीवा किं नेरतियाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं0 पुच्छा। गोयमा! नेरइयाउयं पि पकरेंति, जाव देवाउयं पि पकरेंति। एवं अन्नाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। सलेस्सा णं भंते! जीवा किरियावादी किं नेरतियाउयं पकरेंति0 पुच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं0, एवं जहेव जीवा तहेव सलेस्सा वि चहि वि समोसरणेहिं भाणियव्वा। कण्हलेस्सा णं भंते! जीवा किरियावादी किं नेरड्याउयं पकरेंति0 पुच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति। अकिरिया-अन्नाणिय-वेणइयवादी चत्तारि वि आठयाई पकरेंति। एवं नीललेस्सा काउलेस्सा वि। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [514] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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