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________________ सतं-२५, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-३ एवं ईसिपब्भाराए वि। जत्थ णं भंते! एगे परिमंडले संठाणे जवमज्झे तत्थ परिमंडला संठाणा किं संखेज्जा, असंखेज्जा, अणंता? गोयमा! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता। वटा णं भंते! संठाणा किं संखेज्जा, असंखेज्जा0? एवं चेव। एवं जाव आयता। जत्थ णं भंते! एगे वटो संठाणे जवमज्झे तत्थ परिमंडला संठाणाo? एवं चेव; वटा संठाणा0? एवं चेव। एवं जाव आयता। एवं एक्केक्केणं संठाणेणं पंच वि चारेयव्वा। जत्थ णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे परिमंडले संठाणे जवमज्झे तत्थ परिमंडला संठाणा किं संखेज्जा0 पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता। वटा णं भंते! संठाणा किं संखेज्जा0? एवं चेव। एवं जाव आयता। जत्थ णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे वो संठाणे जवमज्झे तत्थ णं परिमंडला संठाणा किं संखेज्जा0 पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता। वटा संठाणा एवं चेव। एवं जाव आयता। एवं पुणरवि एक्केक्केणं संठाणेणं पंच वि चारेतव्वा जहेव हेठिल्ला जाव आयतेणं। एवं जाव अहेसत्तमाए। एवं कप्पेसु वि जाव ईसीपब्भाराए पुढवीए। [८७२ वटो णं भंते! संठाणे कतिपएसिए, कतिपएसोगाढे पन्नते? गोयमा! वो संठाणे विहे पन्नते तं जहा- घणवो य, पयरवो य। तत्थ णं जे से पयरवटो से दुविधे पन्नते ओयपएसिए य, जुम्मपएसिए य। तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं पंचपएसिए, पंचपएसोगाढे; उक्कोसेणं अणंतपएसिए, असंखेज्जपएसोगाढे। तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं बारसपएसिए, बारसपएसोगाढे; उक्कोसेणं अणंतपएसिए, असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से घणवटो से दुविहे पन्नते, तं जहा--ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य। तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं सत्तपएसिए, सत्तपएसोगाढे पन्नते; उक्कोसेणं अणंतपएसिए, असंखेज्जपएसोगाढे पन्नते। तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं बत्तीसपएसिए, बत्तीसपएसोगाढे पन्नते; उक्कोसेणं अणंतपएसिए, असंखेज्जपएसोगाढे पन्नते। तंसे णं भंते! संठाणे कतिपएसिए कतिपएसोगाढे पन्नते? गोयमा! तंसे णं संठाणे विहे पन्नते, तं जहा- घणतंसे य पयरतंसे य। तत्थ णं जे से पयरतंसे से दुविहे पन्नते, तं जहा--ओयपएसिए य, जुम्मपएसिए य। तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं तिपएसिए, तिपएसोगाढे पन्नते; उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेज्जपएसोगाढे पन्नते। तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं छप्पएसिए, छप्पएसोगाढे पन्नते; उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेज्जपएसोगाढे पन्नते। तत्थ णं जे से घणतंसे से विहे पन्नते, तं जहा--ओयपदेसिए य, जुम्मपएसिए य। तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [455] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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