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सतं-१७, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो
[६९७] कति णं भंते! सरीरगा पन्नत्ता? गोयमा! पंच सरीरगा पन्नत्ता, तं जहा--ओरालिए जाव कम्मए।
कति णं भंते! इंदिया पन्नता? गोयमा! पंच इंदिया पन्नता, तं जहा--सोतिदिए जाव फासिदिए।
कतिविधे णं भंते! जोए पन्नते? गोयमा! तिविधे जोए पन्नत्ते, तं जहा--मणजोए वइजोए कायजोए।
जीवे णं भंते! ओरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे कतिकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए, सिय चठकिरिए, सिय पंचकिरिए।
एवं पुढविकाइए वि। एवं जाव मणुस्से।
जीवा णं भंते! ओरालियसरीरं निव्वत्तेमाणा कतिकिरिया? गोयमा! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि।
एवं पुढविकाइया वि। एवं जाव मणुस्सा। एवं वेठव्वियसरीरेण वि दो दंडगा, नवरं जस्स अत्थि वेठब्वियं। एवं जाव कम्मगसरीरं। एवं सोतिदियं जाव फासिंदिय।
एवं मणजोगं, वइजोगं, कायजोगं, जस्स जं अत्थि तं भाणियव्वं। एते एगत- पुहत्तेणं छव्वीसं दंडगा।
[६९८] कतिविधे णं भंते! भावे पन्नत्ते? गोयमा! छविहे भावे पन्नते, तं जहा--उदइए उवसमिए जाव सन्निवातिए।
से किं तं उदइए भावे? उदइए भावे विहे पन्नत्ते, तं जहा--उदए य उदयनिप्फन्ने य। एवं एतेणं अभिलावेणं जहा अणुओगद्दारे छन्नामं तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव से तं सन्निवातिए भावे। सेवं भंते! सेवं भंते! ति।
*सतरसमे सए चौदसमो उद्देसो समतो
0 बीओ उद्देसो 0 [६९९] से नूणं भंते! संयतविरयपडिहयपच्चक्खायपावकम्मे धम्मे ठिए, अस्संजयअविरय अपडिहयअपच्चक्खायपावकम्मे अधम्मे ठिए, संजयासंजये धम्माधम्मे ठिए? हंता, गोयमा! संजयविरय जाव धम्माधम्मे ठिए।
एयंसि णं भंते! धम्मसि वा अहम्मंसि वा धम्माधम्मंसि वा चक्किया केयि आसइत्तए वा जाव तुयटिपतए वा? णो इणठे समठे।
से केणं खाई अठेणं भंते! एवं वुच्चइ जाव धम्माधम्मे ठिए? गोयमा! संजतविरत जाव पावकम्मे धम्मे ठिए धम्म चेव उवसंपज्जित्ताणं विहरति। अस्संयत जाव पावकम्मे अधम्मे ठिए अधम्म
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[५-भगवई]