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________________ सतं-१३, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-४ गमण-भासुम्मेस-मणजोग-वइजोग-कायजोगा, जे यावन्ने तहप्पगारा चला भावा सव्वे ते धम्मऽत्थिकाए पवतंति। गतिलक्खणे णं धम्मत्थिकाए। अहम्मऽत्थिकाए णं भंते! जीवाणं किं पवत्तति? गोयमा! अहम्मऽत्थिकाए णं जीवाणं ठाणनिसीयण-तुयाण-मणस्स य एगतीभावकरणता, जे यावन्ने तहप्पगारा थिरा भावा सव्वे ते अहम्मऽत्थिकाये पवत्तंति। ठाणलक्खणे णं अहम्मत्थिकाए। आगासऽत्थिकाए णं भंते! जीवाणं किं पवत्तति? गोयमा! आगासऽत्थिकाए णं जीवदव्वाण य अजीवदव्वाण य भायणभूए। [५७६] एगेण वि से पुण्णे, दोहि वि पुण्णे, सयं पि माएज्जा। कोडिसएण वि पुण्णे, कोडिसहस्सं पि माएज्जा ।। [५७७] अवगाहणालक्खणे णं आगासत्थिकाए। जीवऽत्थिकाए णं भंते! जीवाणं किं पवत्तति? गोयमा! जीवऽत्थिकाए णं जीवे अणंताणं आभिणिबोहियनाणपज्जवाणं अणंताणं सुयनाणपज्जवाणं एवं जहा बितियसए अत्थिकायुद्देसए जाव उवयोगं गच्छति। उवयोगलक्खणे णं जीवे। पोग्गलऽत्थिकाए पुच्छा। गोयमा! पोग्गल त्थिकाए णं जीवाणं ओरालिय-वेठव्विय-आहारग तेया-कम्मा-सोतिदिय-चक्खिंदिय-घाणिंदिय-जिभिंदिय-फासिंदिय-मणजोग-वइजोगकायजोग-आणापाणूणं च गहणं पवत्तति। गहणलक्खणे णं पोग्गलत्थिकाए। [५७८] एगे भंते! धम्मऽत्थिकायपएसे केवतिएहिं धम्मऽत्थिकायपएसेहिं पुढे? गोयमा! जहन्नपए तीहिं, उक्कोसपए छहिं। केवतिएहिं अधम्मऽत्थिकायपएसेहिं पुठे? जहन्नपए चउहिं, उक्कोसपदे सत्तहिं। केवतिएहिं आगासऽत्थिकायपदेसेहिं पुढे? सत्तहिं। केवतिएहिं जीवऽत्थिकायपदेसेहिं पुढे? अणंतेहिं। केवतिएहिं पोग्गलऽत्थिकायपएसेहिं पुढे? अणंतेहिं। केवतिएहिं अद्धासमएहिं पुढे? सिय पुढे, सिय नो पुठे। जइ पुढे नियमं अणंतेहिं। एगे भंते! अहम्मऽत्थिकायपएसे केवतिएहिं धम्मऽत्थिकायपएसेहिं पुठे? गोयमा! जहन्नपए चठहिं, उक्कोसपए सत्तहिं। केवतिएहिं अहम्मऽत्थिकायपदेसेहिं पुठे? जहन्नपए तीहिं, उक्कोसपदे छहिं। सेसं जहा धम्मऽत्थिकायस्स। एगे भंते! आगासऽत्थिकायपएसे केवतिएहिं धम्मऽत्थिकायपएसेहिं पुढे? सिय नो पुठे। जति पुठे जहन्नपदे एक्केण वा दोहि वा तीहिं वा चठहिं वा, उक्कोसपदे सत्तहिं। एवं अहम्मऽत्थिकायपएसेहि वि। केवतिएहिं आगासऽत्थिकायपदेसेहिं0? छहिं। केवतिएहिं जीवऽत्थिकायपदेसेहिं पुढे? सिय पुढे, सिय नो पुठे। जइ पुढे नियम अणंतेहिं। एवं पोग्गलऽत्थिकायपएसेहि वि, अद्धासमयेहि वि। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [285] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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