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________________ सतं-१२, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-४ एगिदिएसु नत्थि' भाणियव्वा। आणापाणुपोग्गलपरियटा सव्वत्थ एकुत्तरिया जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते। नेरइयाणं भंते! नेरइयत्ते केवतिया ओरालियपोग्गलपरिया अतीया? नत्थेक्को वि। केवइया पुरेक्खडा? नत्थेक्को वि। एवं जाव थणियकुमारते। पुढविकाइयत्ते पुच्छा। अणंता। केवतिया पुरेक्खडा? अणंता। एवं जाव मणुस्सत्ते। वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणियत्ते जहा नेरइयत्ते। एवं जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते।। एवं सत्त वि पोग्गलपरिया भाणियव्वा। जत्थ अत्थि तत्थ अतीता वि, पुरेक्खडा वि अणंता भाणियव्वा। जत्थ नत्थि तत्थ दो वि 'नत्थि' भाणियव्वा जाव वेमाणियाणं वेमाणियत्ते केवतिया आणापाणुपोग्गलपरियट्या अतीया? अणंता। केवतिया पुरेक्खडा? अणंता। [५४०] से केणढेणं भंते! एवं वुच्चइ ओरालियपोग्गलपरियो, ओरालियपोग्गलपरियो'? गोयमा! जं णं जीवेणं ओरालियसरीरे वामाणेणं ओरालियसरीरपायोग्गाई दव्वाइं ओरालियसरीरत्ताए गहियाई बद्धाइं पुट्ठाई कडाई पट्ठवियाई निविट्ठाई अभिनिविट्ठाई अभिसमन्नागयाइं परियाइयाई परिणामियाई निज्जिण्णाई निसिरियाई निसिट्ठाई भवंति, सेतेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चड़ 'ओरालियपोग्गलपरियटो, ओरालियपोग्गलपरियो'। एवं वेठव्वियपोग्गलपरियटो वि, नवरं वेठव्वियसरीरे वटामाणेणं वेठव्वियसरीरपायोग्गाई दव्वाई वेठव्वियसरीरत्ताए। सेसं तं चेव सव्वं। एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियो, नवरं आणापाणुपायोग्गाई सव्वदव्वाइं आणापाणुताए। सेसं तं चेव। ओरालियपोग्गलपरियो णं भंते! केवतिकालस्स निव्वत्तिज्जति? गोयमा! अणंताहिं ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीहिं, एवतिकालस्स निव्वत्तिज्जइ। एवं वेठव्वियपोग्गलपरियो वि। एवं जाव आणापाणपोग्गलपरियो। एतस्स णं भंते! ओरालिय-पोग्गल-परिया-निव्वतणाकालस्स, वेठव्विय-पोग्गल-परियट - निव्वत्तणाकालस्स जाव आणापाणुपोग्गलपरिया निव्वत्तणाकालस्स य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवे कम्मगपोग्गलपरिया निव्वत्तणाकाले, तेयापोग्गलपरिया निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, ओरालियपोग्गलपरिया निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, आणापाणुपोग्गलपरिया निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, मणपोग्गलपरिया निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, वइपोग्गलपरिया निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, वेठव्वियपोग्गल परिया निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे।। [५४१] एएसि णं भंते! ओरालियपोग्गलपरियाणं जाव आणापाणुपोग्गलपरियाण य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा वेठव्वियपोग्गलपरियटा, वइपोग्गलपरिया [दीपरत्नसागर संशोधितः] [263] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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