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________________ सतं-१२, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-२ सेहवेयावच्चेहिं, कुलवेयावच्चेहिं, गणवेयावच्चेहिं, संघवेयावच्चेहिं, साहम्मियवेयावच्चेहिं अत्ताणं संजोएतारो भवंति। एतेसि णं जीवाणं दक्खतं साह। सेतेणठेणं तं चेव जाव साह। सोइंदियवसो णं भंते! जीवे किं बंधति? एवं जहा कोहवसो तहेव जाव अणुपरियटाइ। एवं चक्खिंदियवस। वि। एवं जाव फासिंदियवसो जाव अणुपरियटाइ। तए णं सा जयंती समणोवासिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमढं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठा सेसं जहा देवाणंदाए तहेव पव्वइया जाव सव्वक्खप्पहीणा। सेवं भंते! सेवं भंते! तिला *बारसमे सए बीइओ उहेसो समतो * 0 तइओ उद्देसो0 [५३७] रायगिहे जाव एवं वयासी-- कति णं भंते पुढवीओ पन्नत्ताओ? गोयमा! सत्त पुढवीओ पन्नत्ताओ, तं जहा-पढमा दोच्चा जाव सत्तमा। पढमा णं भंते! पुढवी किंनामा? किंगोत्ता पन्नता? गोयमा! घम्मा नामेणं, रयणप्पभा गोत्तेणं, एवं जहा जीवाभिगमे पढमो नेरइयउद्देसओ सो निरवसेसो भाणियव्वो जाव अप्पाबगं ति। सेवं भंते! सेवं भंते तिला *बारसमे सए तइओ उहेसो समत्तो * 0 चउत्थो उद्देसो0 [५३८] रायगिहे जाव एवं वयासी-- 0 दो भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, एगयओ साहण्णित्ता किं भवति? गोयमा! दुपदेसिए खंधे भवति। से भिज्जमाणे दहा कज्जति। एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ परमाणुपोग्गले भवति। 0 तिन्नि भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, एगयओ साहण्णिता किं भवति? गोयमा! तिपदेसिए खंधे भवति। से भिज्जमाणे दहा वि, तिहा वि कज्जति। दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपदेसिए खंधे भवति। तिहा कज्जमाणे तिन्नि परमाणुपोग्गला भवंति। 0 चत्तारि भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति पुच्छा। गोयमा! चठप्पएसिए खंधे भवति। से भिज्जमाणे दुहा वि, तिहा वि, तळहा वि कज्जइ। दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिपदेसिए खंधे भवति; अहवा दो दुपदेसिया खंधा भवंति। तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपदेसिए खंधे भवति। चठहा कज्जमाणे चत्तारि परमाणुपोग्गला भवंति। 0 पंच भंते! परमाणुपोग्गला0 पुच्छा। गोयमा! पंचपदेसिए खंधे भवति। से भिज्जमाणे हा वि, तिहा वि, चहा वि, पंचहा वि कज्जइ। दुहा कंज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ चउपदेसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दुपदेसिए खंधे, एगयओ तिपदेसिए खंधे भवति। तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपदेसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति। चहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवति। पंचहा कज्जमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवंति। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [256] [५-भगवई
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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