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सतं-१०, वग्गो - ,सत्तंसतं- , उद्देसो-५
गीतरतिस्स णं भंते!० पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नताओ, तं जहा--सुघोसा विमला सुस्सरा सरस्सती। तत्थ णं०, सेसं तं चेव।
एवं गीयजसस्स वि। सव्वेसिं एतेसिं जहा कालस्स, नवरं सरिसनामियाओ राय हाणीओ सीहासणाणि य। सेसं तं चेव।
चंदस्स णं भंते! जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो० पुच्छा। अज्जो! चत्तारि, अग्गमहिसीओ पन्नताओ, तं जहा--चंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा। एवं जहा जीवाभिगमे जोतिसियउद्देसए तहेव।
सूरस्स वि सूरप्पभा आयवाभा अच्चिमाली पभंकरा। सेसं तं चेव जाव नो चेव णं मेणवत्तियं।
इंगालस्स णं भंते! महग्गहस्स कति अग्ग0 पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नताओ, तं जहा--विजया वेजयंती जयंती अपराजिया। तत्थ णं एगमेगाए देवीए0, सेसं जहा चंदस्स। नवरं इंगालवडेंसए विमाणे इंगालगंसि सीहासणंसि। सेसं तं चेव।
एवं वियालगस्स वि। एवं अट्ठासीतीए वि महागहाणं भाणियव्वं जाव भावकेउस्स। नवरं वडेंसगा सीहासणाणि य सरिनामगाणि। सेसं तं चेव।
सक्कस्स णं भंते! देविंदस्स देवरणो० पुच्छा। अज्जो! अट्ठ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा--पठमा सिवा सुयी अंजू अमला अच्छरा नवमिया रोहिणी। तत्थ णं एगमेगाए देवीए सोलस सोलस देविसहस्सा परियारो पन्नत्तो। पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाई सोलस सोलस देविसहस्सा परियारं विठवित्तए। एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठावीसुतत्रं देविसयसहस्सं, से तं तुडिए।
पभू णं भंते! सक्के देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए सक्कंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धिं सेसं जहा चमरस्स | नवरं परियारो जहा मोउद्देसए।
सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओ० पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नताओ, तं जहा--रोहिणी मदणा चित्ता सोमा। तत्थ णं एगमेगा०, सेसं जहा चमरलोगपालाणं। नवरं सयंपभे विमाणे सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव। एवं जाव वेसमणस्स, नवरं विमाणाई जहा ततियसए।
ईसाणस्स णं भंते!० पुच्छा। अज्जो! अट्ठ अग्गमहिसीओ पन्नताओ, तं जहा-कण्हा कण्हराई रामा रामरक्खिया वसू वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा। तत्थ णं एगमेगाए०, सेसं जहा सक्कस्स।
ईसाणस्स णं भंते! देविंदस्स सोमस्स महारण्णो कति० पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नताओ, तं जहा-पुढवी राती रयणी विज्जू। तत्थ णं०, सेसं जहा सक्कस्स लोगपालाणं। एवं जाव वरुणस्स, नवरं विमाणा जहा चउत्थसए । सेसं तं चेव जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं। सेवं भंते! सेवं भंते! ति जाव विहरइ।
*दसमे सए पंचमो उद्देसो समत्तो*
0 छट्ठो उद्देसो0 [४९०] कहि णं भंते! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सभा सुहम्मा पन्नता? गोयमा! जंबुद्दीवे
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[५-भगवई