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सतं-६, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-१०
सिय नो जीवति।
जीवति भंते! नेरतिए? नेरतिए जीवति? गोयमा! नेरतिए ताव नियमा जीवति, जीवति, जीवति पुण सिय नेरतिए, सिय अनेरइए।
एवं दंडओ नेयव्वो जाव वेमाणियाणं।
भवसिद्धीए णं भंते! नेरइए? नेरइए भवसिद्धीए? गोयमा! भवसिद्धीए सिय नेरइए, सिय अनेरइए। नेरतिए वि य सिय भवसिद्धीए, सिय अभवसिद्धीए।
एवं दंडओ जाव वेमाणियाणं।
[३२२]अन्नउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खंति जाव परूवेंति-"एवं खलु सव्वे पाणा सव्वे भूया सव्वे जीवा सव्वे सत्ता एगंतदक्खं वेदणं वेदेति से कहमेतं भंते! एवं? गोतमा! जं णं ते अन्नउत्थिया जाव मिच्छं ते एवमाहंसु। अहं पुण गोतमा! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एगंतदुक्खं वेदणं वेदेति, आहच्च सातं। अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एगतसातं वेदणं वेदेति, आहच्च असायं वेयणं वेदेति। अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता वेमाताए वेयणं वेयंति,आहच्च सायमसायं।
से केणठेणं.? गोयमा! नेरइया एगंतदुक्खं वेयणं वेयंति, आहच्च सातं। भवणवतिवाणमंतर-जोइस-वेमाणिया एगंतसातं वेदणं वेदेति, आहच्च असायं। पुढविक्काइया जाव मणुस्सा वेमाताए वेदणं वेटेंति, आहच्च सातमसातं। से तेणठेणं.।
[३२३]नेरतिया णं भंते! जे पोग्गले अत्तमायाए आहारेंति ते किं आयसरीरक्खेतोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेंति? अणंतरखेतोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेंति? परंपरखेतोगाढे पोग्गले
मायाए आहारेंति? गोतमा! आयसरीरखेतोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेंति, नो अणंतरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेंति, नो परंपरखेतोगाढे।
जहा नेरइया तहा जाव वेमाणियाणं दंडओ। [३२४]केवली णं भंते! आयाणेहिं जाणति पासति? गोतमा! नो इणठे.।
से केणठेणं.? गोयमा! केवली णं पुरत्थिमेणं मितं पि जाणति अमितं पि जाणति जाव निव्वुडे दंसणे केवलिस्स, से तेणढेणं.।गाहा[३२५]
जीवाण सुहं दुक्खं जीवे जीवति तहेव भविया य।
एगंतदुक्खवेदण अत्तमायाय केवली ।। [३२६]सेवं भंते! सेवं भंते! ति.।
* छट्ठ सए दसमो उद्देसो समतो .
०-छठें सतं समतं-० • मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च छठें सतं समतं .
[३२७]
[] सत्तमं सतं [] आहार, विरति, थावर, जीवा, पक्खी , य आठ, अणगारे| छउमत्थ, असंवुड, अन्नउत्थि, दस सत्तमम्मि सते ।।
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[५-भगवई