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________________ सतं-६, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-४ एवं जाव सिद्धे। जीवा णं भंते! कालादेसेणं किं सपदेसा, अपदेसा? गोयमा! नियमा सपदेसा। नेरइया णं भंते! कालादेसेणं किं सपदेसा, अपदेसा? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्ज सपदेसा, अहवा सपदेसा य अपदेसे य, अहवा सपदेसा य अपदेसा य। एवं जाव थणियकुमारा। पुढविकाइया णं भंते! किं सपदेसा, अपदेसा? गोयमा! सपदेसा वि, अपदेसा वि। एवं जाव वणप्फतिकाइया। सेसा जहा नेरइया तहा जाव सिद्धा। आहारगाणं जीवेगेंदियवज्जो तियभंगो। अणाहारगाणं जीवेगिंदियवज्जा छब्भंगा एवं भाणियव्वा-सपदेसा वा, अपएसा वा, अहवा सपदेसे य अपदेसे य, अहवा सपदेसे य अपदेसा य, अहवा सपदेसा य अपदेसे य, अहवा सपदेसा य अपदेसा य। सिद्धेहिं तियभंगो। भवसिद्धीया अभवसिद्धीया जहा ओहिया। नोभवसिद्धियनोअभवसिद्धिया जीव-सिद्धेहिं तियभंगो। सण्णीहिं जीवादिओ तियभंगो। असण्णीहिं एगिंदियवज्जो तियभंगो। नेरइय-देव-मणुएहिं छब्भंगा। नोसण्णिनोअसण्णिणो जीव-मणुय-सिद्धेहिं तियभंगो। सलेसा जहा ओहिया। कण्हलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा जहा आहारओ, नवरं जस्स अत्थि एयाओ। तेउलेस्साए जीवादिओ तियभंगो, नवरं पुढविकाइएस् आउ-वणप्फतीसु छब्भंगा। पम्हलेससुक्कलेस्साए जीवाइओ तियभंगो। अलेसेहिं जीव-सिद्धेहिं तियभंगो मणुएसु छब्भंगा। सम्मद्दिट्ठीहिं जीवाइओ तियभंगो। विगलिंदिएसु छब्भंगा। मिच्छद्दिठीहिं एगिंदियवज्जो तियभंगो। सम्मामिच्छद्दिट्ठीहिं छब्भंगा। संजतेहिं जीवाइओ तियभंगो। असंजतेहिं एगिंदियवज्जो तियभंगो। संजतासंजतेहिं तियभंगो जीवादिओ। नोसंजयनोअसंजयनोसंजतासंजत जीव-सिद्धेहिं तियभंगो। सकसाईहिं जीवादिओ तियभंगो। एगिदिएस अभंगकं। कोहकसाईहिं जीवेगिंदियवज्जो तिय भंगो। देवेहिं छब्भंगा। माणकसाई मायाकसाई जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। नेरतिय-देवेहिं छब्भंगा। लोभकसायीहिं जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। नेरतिएसु छब्भंगा। अकसाई जीव-मणुएहिं सिद्धेहि य तियभंगो। ओहियनाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे जीवादिओ तियभंगो। विगलिंदिएहिं छब्भंगा। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [107] [५-भगवई]
SR No.003709
Book TitleAgam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages565
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size5 MB
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