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________________ चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- आघवइत्ता नाममेगे नो परिभावइत्ता, परिभावइत्ता नाममेगे नो आधवइत्ता-४ | चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- आधवइत्ता नाममेगे नो उंछजीवीसंपण्णे, उंछजीविसंपण्णे नाममेगे नो आधवइत्ता-४ | चउव्विहा रूक्खविगुव्वणा पन्नत्ता तं जहा- पवालत्ताए पत्तत्ताए पुप्फत्ताए फलत्ताए | ठाणं-४, उद्देसो-४ [३६७] चत्तारि वादिसमोसरणा पन्नत्ता तं जहा- किरियावादी अकिरियावादी अन्नाणियावादी वेणइयावादी । __नेरइयाणं चत्तारि वादिसमोसरणा पन्नत्ता तं जहा- किरियावादी जाव वेणइयावादी, एवमसुर-कमाराणवि जाव थणियकुमाराणं एवं- विगलिंदियवज्जं जाव वेमाणियाणं । [३६८] चत्तारि मेहा पन्नत्ता तं जहा- गज्जित्ता नाममेगे नो वासित्ता, वासित्ता नाममेगे नो गज्जित्ता, एगे गज्जित्तावि वासित्तावि, एगे नो गज्जित्ता नो वासित्ता; एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- गज्जित्ता नाममेगे नो वासित्ता-४ । चत्तारि मेहा पन्नत्ता तं जहा- गज्जित्ता नाममेगे नो विज्जुयाइत्ता विज्जुयाइत्ता नाममेगे नो गज्जित्ता-४ । एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- गज्जित्ता नाममेगे नो विज्जुयाइत्ता-४ । चत्तारि मेहा पन्नत्ता तं जहा- वासित्ता नाममेगे नो विज्जुयाइत्ता, विज्जुयाइत्ता नाममेगे नो वासित्ता-४ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा- वासित्ता नाममेगे नो विज्जुयाइत्ता-४ । चत्तारि मेहा पन्नत्ता तं जहा- कालवासी नाममेगे नो अकालवासी, अकालवासी नाममेगे नो कालवासी-४। एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- कालवासी नाममेगे नो अकालवासी-४ । चत्तारि मेहा पन्नत्ता तं जहा- खेत्तवासी नाममेगे नो अखेत्तवासी, अखेत्तवासी नाममेगे नो खेत्तवासी-४ | एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- खेत्तवासी नाममेगे नो अखेत्तवासी-४ । चत्तारि मेहा पन्नत्ता तं जहा- जणइत्ता नाममेगे नो निम्मवइत्ता, निम्मवइत्ता नाममेगे नो जणइत्ता-४ | एवामेव चत्तारि अम्मपियरो पन्नत्ता तं० जणइत्ता नाममेगे नो निम्मवइत्ता निम्मवइत्ता-४ । । चत्तारि मेहा पन्नत्ता तं जहा- देसवासी नाममेगे नो सव्ववासी, सव्ववासी नाममेगे नो देसवासी-४ | एवामेव चत्तारि रायाणो पन्नत्ता तं जहा- देसाधिवती नामेगे नो सव्वाधिवती-४ । [३६९] चत्तारि मेहा पन्नत्ता तं जहा- पुक्खलसंवट्टते पज्जुण्णे जीमूते जिम्हे, पुक्खलसंवट्टए णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवाससहस्साई भावेति पज्जुण्णे णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवाससयाई भावेति, जीमूते णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवासाइं भावेति जिम्हे णं महामेहे बहहिं वासेहिं एग वासं भावेति वा न वा भावेति ।। [३७०] चत्तारि करंडगा पन्नत्ता तं जहा- सोवागकरंडए वेसियाकरंडए गाहावतिकरंडए रायकरंडए; एवामेव चत्तारि आयरिया पन्नत्ता तं जहा- सोवागकरेंडगसमाणे वेसियाकरंडगसमाणे गाहावतिकरंडगसमामे रायकरंडगसमाणे । [मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:] [69] [३-ठाण]
SR No.003705
Book TitleAgam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages141
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size2 MB
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