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________________ कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा चाउक्कालं सज्झायं करेत्तए तं जहा पव्वण्हे अवरण्ह पओसे पच्चूसे | [३०५] चउव्विहा लोगद्विती पन्नत्ता तं जहा- आगासपतिट्ठिए वाते, वातपतिट्ठिए उदधी, उदधिपतिट्ठिया पुढवी, पुढवपतिट्ठिया तसा थावरा पाणा । [३०६] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा- तहे नाममेगे, नोतहे नाममेगे, सोवत्थी नाममेगे, पधाणे नाममेगे; चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- आयंतकरे नाममेगे नो परंतकरे, परंतकरे नाममेगे नो आयंकरे, एगे आयंकरेवि परंतकरेवि, एगे नो आयंकरे नो परंतकरे । चत्तारि परिसजाया प० तं०- आयंतमे नाममेगे नो परंतमे, परंतमे नाममेगे नो आयंतमे, एगे आयंतमेवि परंतमेवि, एगे नो आयंतमे नो परंतमे; चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- आयंदमे नाममेगे नो परंदमे-४ । [३०७] चउव्विहा गरहा पन्नत्ता तं०- उवसंपज्जामित्तेगा गरहा, वितिगिच्छामित्तेगा गरहा, जंकिंचिमिच्छामित्तेगा गरहा, एवंपि पन्नत्तेगा गरहा । [३०८] चत्तारि पुरिसजाया पण्णता तं जहा- अप्पणो नाममेगे अलमंथू भवति नो परस्स, परस्स नाममेगे अलमंथू भवति नो अप्पणो, एगे अप्पणोवि अलमंथू भवति परस्सवि, एगे नो अप्पणो अलमंथू भवति नो परस्स । चत्तारि मग्गा पन्नत्ता तं जहा- उज्जू नाममेगे उज्जू, उज्जू नाममेगे वंके, वंके नाममेगे उज्जू, वंके नाममेगे वंके; एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- उज्जू नाममेगे उज्जू-४ | चत्तारि मग्गा पन्नत्ता तं जहा- खेमे नाममेगे खेमे, खेमे नाममेगे अखेमे, अखेमे नाममेगे खेमे, अखेमे नाममेगे अखेमे; एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- खेमे नाममेगे खेमे४ । चत्तारि मग्गा पन्नत्ता तं जहा- खेमे नाममेगे खेमरूवे, खेमे नाममेगे अखेमरूवे, अखेमे नाममेगे खेमरूवे, अखेमे नाममेगे अखेमरूवे; एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा- खेमे णाम मेगे खेमरूवे-४ । चत्तारि संबक्का पन्नत्ता तं जहा- वामे नाममेगे वामावत्ते, वामे नाममेगे दाहिणावते, दाहिणे नाममेगे वामावत्ते, दाहिणे नाममेगे दाहिणावत्ते; एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहावामे नाममेगे वामावत्ते-४ ।। चत्तारि धूमसिहाओ पन्नत्ताओ तं जहा- वामा नाममेगा वामावत्ता-४ । एवामेव चत्तारि ठाणं-४, उद्देसो-२ इत्थीओ पन्नत्ताओ तं जहा- वामा नाममेगा वामावत्ता-४ । चत्तारि अग्गिसिहाओ पन्नत्ताओ तं जहा- वामा नाममेगा दाहिणावत्ता-४; एवामेव चत्तारि इत्थीओ पन्नत्ताओ तं जहा- वामा नाममेगा दाहिणावत्ता-४ । चत्तारि वायमंडलिया पन्नत्ता तं जहा- वामा नाममेगा वामावत्ता-४; एवामेव चत्तारि इत्थीओ पन्नत्ताओ तं जहा- वामा नाममेगा वामावत्ता-४ । चत्तारि वणसंडा पन्त्ता तं जहा- वामे नाममेगे वामावत्ते-४; एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- वामे नाममेगे वामावत्ते-४ । [मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:] [52] [३-ठाण]
SR No.003705
Book TitleAgam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages141
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size2 MB
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