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________________ जक्खिंदस्स जक्खरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- पुण्णा बहुपुण्णित्ता उतमा तारगा, एवं- माणिभद्दस्सवि; भीमस्स णं रक्खसिंदस्स रक्खसरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- पउमा वसुमती कणगा रतणप्पभा; एवं-महाभीमसस्सवि किण्णरस्स णं किण्णरिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- वडेंसा केतुमती रतिसेणा रतिप्पभा; एवं- कुंपुरिस्सवि सप्पुरिसस्स णं किंपरिसिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- रोहिणी नवमिता हिरी पुप्फवती; एवं महापुरिसस्सवि अतिकायस्स णं महोरगिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- भयगा भयगावती महाकच्छा फडा; एवं- महाकायस्सवि गीतरतिस्स णं गंधव्विदस्स गंधव्वरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- सुघोसा विमला सुस्सरा सरस्सती; एवं-गीयजसस्सवि, चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहाचंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा; एवं-सूरस्सवि णवरं-सूरप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा; इंगालस्स णं महागहस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- विजया वेजयंति जयंती अपराजिया, एवं-सव्वेसिं महग्गहाणं जाव भावकेउस्स । सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- रोहिणी मयणा चित्ता सामा, एवं जाव वेसमणस्स; ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- पुढवी राती रयणी विज्जू, एवं जाव वरुण्णस्स | [२८८] चत्तारि गोरसविगतीओ पन्नत्ताओ तं जहा- खीरं दहिं सप्पिं नवनीतं; चत्तारि सिणेहविगतीओ पन्नत्ताओ तं जहा- तेल्लं घयं वसा नवनीतं; चत्तारि महाविगतीओ पन्नत्ताओ तं जहामहं मंसं मज्जं नवणीतं । [२८९] चत्तारि कूडागारा पन्नत्ता तं जहा- गुत्ते नाम एगे गुत्ते, गुत्ते नामं एगे अगुत्ते, अगुत्ते नामं एगे गुत्ते, अगुत्ते नाम एगे अगुत्ते एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा- गुत्ते नामं एगे गुत्ते-४ । ठाणं-४, उद्देसो-१ चत्तारि कूडागारसालाओ पन्नत्ताओ तं जहा- गुत्ता णाममेगा गुत्तदुवारा, गुत्ता णाममेगा अगुत्तदारा, अगुत्ता णाममेगा गुत्तदुवारा, अगुत्ता णाममेगा अगुत्तदुवारा; एवामेव चत्तारित्थीओ पण्णत्ताओ तं जहा- गुत्ता णाममेगे गुत्तिंदिया, गुत्ता णाममेगा अगुत्तिंदिया-४ | [२९०] चउविहा ओगाहणा प० तं० जहा- दव्वोगाहणा खेत्तोगाहणा कालोगाहणा भावोगाहणा। [२९१] चत्तारि पन्नत्तीओ अंगबाहिरियाओ पन्नत्ताओ तं जहा- चंदपन्नत्ती सूरपन्नत्ती जंबुद्दीवपन्नत्ती दीवसागरपन्नत्ती ।। . चउत्थे ठाणे पदमो उद्देसो समत्तो . 0 बीओ-उद्देसो [२९२] चत्तारि पडिसलीणा पन्नत्ता तं जहा- कोहपडिसलीणे माणपडिसलीणे मायापडिसंलीणे लोभपडिसंलीणे; चत्तारि अपडिसलीणा पन्नत्ता तं- कोहअपडिसंलीणे जाव [मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:] [48] [३-ठाण]
SR No.003705
Book TitleAgam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages141
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size2 MB
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