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श्रमण प्रतिक्रमण
शब्दार्थ
संस्कृत छाया अर्हत्
मम
अर्हत् मेरे देव हैं जीवन पर्यन्त
सुसाधु
देवः यावज्जीवं सुसाधवः गुरवः जिनप्रजातं तत्त्वं इति
मेरे गुरु हैं, जिनेश्वर द्वारा जो प्ररूपित है वह मेरा तत्त्व है यह सम्यक्त्व
सम्यक्त्वं
....
.
मैंने
ग्रहण किया है।
इस
मया गृहीतम् । एतस्य सम्यक्त्वस्य पञ्च अतिचाराः 'पेयाला' ज्ञातव्याः न समाचरितव्याः तद् यथाशंका कांक्षा
विचिकित्सा
सम्यक्त्व के पांच अतिचार प्रधान जानने योग्य नहीं आचरने योग्य जैसे-- लक्ष्य के प्रति संदेह लक्ष्य के विपरीत दृष्टिकोण के प्रति अनुरक्ति लक्ष्यपूर्ति के साधनों के प्रति संशयशीलता लक्ष्य के प्रतिकूल चलने वालों की प्रशंसा लक्ष्य के प्रतिकूल चलने वालों का परिचय। जो मैंने देवसिक अतिचार किया हो
परपाषण्डप्रशंसा
परपाषण्डसंस्तवः
यो
मया देवसिकः अतिचारः
कृतः
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