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चित्र नं. ४
23वो भव प्रिय मित्र चक्रवर्ती
स्थानव
२५वा भव नन्दन राजकुमार
प्रियमित्र चक्रवर्ती के भव में राज्य वैभव का भोग कर बाद में तपस्या। नन्दन के भव में बीस स्थानक की आराधना।
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