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________________ करता था। मैं खड़ा रहकर तपस्या करता था। उकडु (आसन) में बैठकर तपस्या करता था। हथेली पर भिक्षा लेकर खाता था। बैठे हुए, स्थान पर आकर दिये हुए अन्न को अपने लिए तैयार किये अन्न से और निमन्त्रण को स्वीकार नहीं करता था। यह सारा आचार जैन परम्परा अनुसार जिनकल्पी मुनि का है। पं. सुखलाल जी संघवी, धर्मानंद कौशाम्बी, डॉ. राधाकुमुद मुकर्जी१० और श्री राइस डेविड्स११ ने भगवान बुद्ध को भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा से प्रभावित बताया है। बौद्ध ग्रंथों में भगवान महावीर को चातुर्याम धर्म का प्रमुख बताया है। ___इसके बाद अंतिम तीर्थंकर ज्ञातपुत्र श्रमण भगवान महावीर हुए जिनके बारे में हम पाठकों को विस्तृत जानकारी देंगे। उपसंहार यहाँ हमारा उद्देश्य श्रमण संस्कृति में तीर्थंकर परम्परा का संक्षिप्त परिचय देना है। जैनधर्म की प्राचीनता के बारे में भारतीयों में उपलब्ध जानकारी, देशी व विदेशी विद्वानों के जैनधर्म के प्रति विचारों से जनमानस को अवगत कराना है। हमारा एक उद्देश्य भारतीय संस्कृति की दो धाराओं-श्रमण व वैदिक को स्पष्ट करके बताना है। चौबीस तीर्थंकरों के बारे में संक्षिप्त जानकारी हम एक चार्ट में दे रहे हैं। श्वेताम्बर आचार्य कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र सूरीश्वर ने २४ तीर्थकरों के बारे में त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र में जैन आगमों, चूर्णि, नियुक्ति, टीकाओं के आधार पर विस्तारपूर्वक लिखा है। १. थेरगाथा १/२० २. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग १, प्रस्तावना पृष्ठ २४ । ३. विष्णुपुराण ३/१७/१८ ४. पद्मपुराण सृष्टि खण्ड, अध्याय ५, श्लोक १७०-४१३ ५. मत्स्यपुराण २४/४३-४९ ६. देवी भागवत ४/१३/५४-५७ । ७. (क) मज्झिम निकाय महासिंहनाद पुत्र १/१/२ (ख) भगवान बुद्ध : धर्मानन्द कौशाम्बी, पृष्ठ ६८-६९ ८. चार तीर्थंकर, पृष्ठ १४०-१४१ ९. पार्श्वनाथ का चातुर्याम धर्म, पृष्ठ २८-३१ १०. हिन्दू सभ्यता, पृष्ठ २३ 99. Mr. Rhyce Devids : Gautam the Man, pp. 22-25. २० सचित्र भगवान महावीर जीवन चरित्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003697
Book TitleSachitra Bhagwan Mahavir Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindra Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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