________________
व नक्षत्रों में चन्द्रमा है। उसी प्रकार स्वर्णमाला की आप समुज्जवल मणि है। आपकी वाणी से सद्प्रेरणा पाकर अनेक आत्माओं ने अपनी जीवनधारा को नूतन आयाम दिया है। तपस्या के क्षेत्र में भी आपके वर्षीतप, अठाई व्रत आदि की तपस्याएँ महती उपलब्धियाँ हैं। भंडारी श्री पद्मचंद्र जी म. द्वारा आपको 'प्रदीप्त तपस्विनी' की पदवी से अलंकृत किया गया है। आप जैसी तप-त्याग-संयम समर्पण की प्रतिमा के दीर्घायुत्व व उत्तम स्वास्थ्य की मंगल कामना करते हैं। आपकी प्रेरणा से २४वें तीर्थंकर वर्धमान भगवान महावीर की जीवनी प्रकाशित होने जा रही है यह बहुत ही खुशी का प्रसंग है इसको पढ़ने से जन जीवन को प्रेरणा मिलेगी। इसके लेखक श्री रविन्द्र कुमार जैन और श्री पुरुषोत्तम जैन जिन्होंने अपना कीमती समय निकालकर इस ग्रन्थ को लिखने में पूरा-पूरा जीवन का लाभ लिया। ऐसे ही यह भविष्य में धर्मकार्यों में समय लगाते रहे। __एक बार पुनः मैं दिव्य विभूति, इस ग्रन्थ की महान् प्रेरिका प्रदीप्त तपस्विनी गुरुणी श्री सुधा जी महाराज के प्रति शासनेश प्रभु से यही प्रार्थना करती हूँ। कि युगों तक आपका मार्गदर्शन हम सबको और समाज को प्राप्त होता रहे। आपकी शक्ति वृद्धिंगत होकर समाज निर्माण की दिशा में लगी रहे और आपके पुनीत आशीर्वाद और जीवनोत्थान व साहित्य रचना की प्रेरणाएँ सबको मिले। आपश्री जी की सदैव जय विजय हो। स्वास्थ्य लाभ, वृद्धि निरन्तर होती रहे। मेरी लाख-लाख शुभ कामनाएँ। इसी मंगल कामना, मंगल याचना के साथ-साथ
नमामि तां यस्या मतिः सरला। नमामि तां यस्या आकृतिः सरला। नमामि सुधासम अन्तःसन्तोषदायिनी यस्या गतिः यस्या जागृतिः सरला॥
२०
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org