________________
प्रेरिका की कलम से
भगवान महावीर का २६०० साला जन्म करीब है । विभिन्न संस्थायें विभिन्न आयोजन सम्पन्न करने जा रही हैं। पाठकों कों याद हो प्रभु महावीर का २५००वाँ निर्वाण उत्सव उपप्रवर्तिनी गुरुणी श्री स्वर्णकान्ता जी म. की प्रेरणा से मनाया गया था। तब प्रभु महावीर का निर्वाण मनाने जैनों के चारों सम्प्रदायों की समिति बनी। इसी समिति ने सारे जनकल्याण के कार्य कर दिये । परन्तु पूज्य गुरुवर्या को जैन समाज की एक कमी खटकती रही वह थी कि जैनों का साहित्य हर स्थानीय भाषा में था पर पंजाबी में न था । गुरुणी जी ने इस कार्य के लिए श्री पुरुषोत्तम जैन व श्री रवीन्द्र जैन, मालेर कोटला को तैयार किया। दोनों ने सारा काम सँभाला। पहले सरकारी स्तर की समिति बनी। जैन समारोह
किये। रोड, नगर का नामकरण प्रभु महावीर के नाम पर रखे। पहली बार चारों सम्प्रदाय एक झण्डे एक निशाने के तले इकट्ठे हुए। फिर हमने एक साहित्य समिति का गठन भी किया, जो पंजाबी, हिन्दी भाषा में, जैन समूह के लिए साहित्य तैयार करे। पहले पंजाब में जैन साहित्य उर्दू भाषा में प्राप्त था। गाँवों में गुरुमुखी पढ़ाई जाती थी, जो आज पंजाबी भाषा की लिपि है ।
मैंने गुरुणी जी के आशीर्वाद से अपने निर्देशन में इन दोनों को जरूरी काम दिया। इसमें आगम अनुवाद, जैन कहानी लेखन, मूल पुस्तकों के रूप में ५० ग्रन्थ छप चुके हैं। हिन्दी में अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन हुआ है। इसी निर्वाण शताब्दी पर पंजाबी विश्वविद्यालय में जैन चेयर की स्थापना हुई। कॉलेज, स्कूल, धर्मशाला, पुस्तकालय, अस्पताल की स्थापना हुई। भाषणमाला का आयोजन हुआ । गुरुणी जी का सन्देश यूनिवर्सिटी से राष्ट्रपति तक पहुँचा । जैन विद्वानों को भाषण के लिए आमन्त्रित किया गया, सन्मान किया गया। यह कार्य लगातार चालू है। अब भगवान महावीर का २६०० साला जन्म आ रहा है हमें उसे धर्म प्रचार द्वारा मनाना है।
गुरुणी जी की काफी समय से इच्छा थी कि प्रभु महावीर का सरल सचित्र जीवन शास्त्र पर आधारित हो । मैंने गुरुणी जी की इच्छा को समझा। मैंने रवीन्द्र जैन, मालेर कोटला और पुरुषोत्तम जैन शास्त्रों में से हिण्ट दिये। फिर प्रकाशित २७ ग्रन्थों की सूची तैयार की। इन दोनों ने स्वयं भी लाइब्रेरियों से उपलब्ध महावीर चरित्र पढ़े ।
आधारभूत ग्रन्थ 'महावीर एक अनुशीलन' लेखक आचार्य देवेन्द्र मुनि व मुनि श्री कल्याणविजय कृत श्रमण महावीर ग्रन्थ को चुना गया। हम इन दोनों लेखकों व ग्रन्थ प्रकाशकों के आभारी हैं। इस ग्रन्थ की पाण्डुलिपि जो श्री श्रीचन्द जी सुराना ने मेहनत से पढ़ा और संशोधन किया। उनके सपुत्र श्री राजेश सुराना ने प्रकाशन में प्रमुख सहयोग दिया। श्री रवीन्द्र जैन व श्री पुरुषोत्तम जैन के साथ सुराना परिवार हमारे साधुवाद का पात्र है । शास्त्र चर्चा का आधार मुनि श्री कल्याणगन विजय कृत क्रामण महावीर हैं।
परम पूज्य उत्तर भारतीय प्रवर्तक भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी म. के शिष्यरत्न उपप्रवर्तक वाणीभूषण श्री अमर मुनि म. ने भी कृपाकर कल्पसूत्र के रंगीन चित्रों से भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित चित्र लेने की स्वीकृति प्रदान की। उनके प्रति आभार प्रकट करने के लिए शब्द मिलना असंभव है।
अब भगवान महावीर का २६००वाँ जन्म - दिन आ रहा है। गुरुणी जी की प्रेरणा से हमने २६वीं महावीर जन्मशताब्दी संयोजिका समिति पंजाब का निर्माण किया है। हर्ष का विषय है कि अभी इस समिति ने प्रकाशन का हाथ काम में लिया है। साथ में साध्वी स्वर्णकान्ता जैन पुस्तकालय की स्थापना का कार्य शुरू किया है। अभी तक ५० छोटी पुस्तकें छप चुकी हैं। भविष्य में अन्य पंजाबी अप्रकाशित जैन साहित्य छपवाने का इरादा है।
सबसे अधिक धन्यवाद दानी सज्जनों का है, उन्होंने अपने धन को सफल किया। वे समस्त साध्वी परिवार, लेखकद्वय, प्रकाशक सभी गुरुणी श्री स्वर्णकान्ता जी म. के आशीर्वाद के पात्र हैं।
- साध्वी सुधा
जैनस्थानक अंबाला
१७.५.२०००
Jain Educationa International
६
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org