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________________ आवश्यकचूर्णि और महावीरचरियं में वर्णन है कि जब दीक्षा लेने का एक वर्ष अवशेष रहा तब महावीर के मन में एक वर्ष के भीतर घर छोड़ने का ध्यान आया। उसी समय देवेन्द्र का सिंहासन कम्पायमान हुआ। उसने अपने देव-बल से राजसी खजाने में ३ अरब, ८८ करोड ४० लाख स्वर्ण-मुद्राएँ पहुँचाईं। फिर प्रतिदिन सभी प्रकार के जरूरतमंदों की जरूरतें पूरी करने लगे। ____ आचारांगसूत्र व कल्पसूत्र में सर्वस्व त्याग का वर्णन है। उन्होंने अपनी सारी सम्पदा का त्याग कर दिया। वह सम्पत्ति किसको दी, इसका वर्णन नहीं है। मात्र 'दान' का उल्लेख है। बाद के आचार्यों ने इस दान शब्द की परम्परा अनुसार व्याख्या की है। यह परम्परा पूर्व तीर्थंकरों की परम्परा का अनुसरण है। ___ आचारांगसूत्र में लोकांतिक देवों के आगमन का भी वर्णन नहीं आया। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि आचारांगसूत्र में भगवान महावीर का वर्णन पहले अंग में संक्षिप्त रूप में आया है। १. इनका वर्णन कल्पसूत्र में देखें-सूत्र ३४-३७ २. कल्पसूत्र ४९-५४ ३. कल्पसूत्र ५६-५७ ४. कल्पसूत्र ६६-६९ ५. त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र ४/१/२१७ ६. वही ४/१/१६८ ७. वही ८. काललोकप्रकाश, सर्ग ३०, पृष्ठ १९९ ९. विशेशा. भा. १८४६-१८४७ १०. उववाईसूत्र १ ११. (क) प्रज्ञापनासूत्र २३ (ख) त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १/१३१ १२. आवश्यक मलयगिरि वृति, गाथा ३७७ १३. त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०/२/१०२ १४. (क) आवश्यकचूर्णि, पृष्ठ २४६ (ख) हारिभद्रीया वृत्ति, पृष्ठ १८१ (ग) आवश्यक मलयगिरि वृत्ति, पृष्ठ २५८ (घ) चउप्पन महापुरिस चरियं, पृष्ठ २७१ (ङ) त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०/२, १०३-१०७ (च) उत्तरपुराण ७४/२८६-२९५, (छ) महावीरचरियं नेमिचन्द ७५-८६, पृष्ठ ३५, गुणचन्द ५४९ १५. विशेषावश्यकभाष्य १/८५७-१/८५८ आव. हारि. वृत्ति, पृष्ठ १८२, मलयगिरि वृत्ति, पृष्ठ २५९/१, महावीरचरियं, गाथा ९२-९५, पृष्ठ ३४ महावीरचरियं गुणचन्द, पृष्ठ १२७, त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०/२/१९९, आवश्यक वृत्ति २८२ १६.. (क) कुमारो युवराजेऽश्ववाहके बालक शुके। शब्द रल समन्वय कोष, २६८ (ख) युवराजः कुमार भर्तृदारक। अभिधान चिंतत्तमणि, काण्ड २, श्लोक २४६ १७. (क) आवश्यकचूर्णि, पृष्ठ २४९ (ख) आवश्यक हारिभद्रीया वृत्ति, पृष्ठ १४३ (ग) आवश्यक मलयगिरि वृत्ति, पृष्ठ २६० (घ) महावीरचरियं, गुणचन्द्र, पृष्ठ १३४ १८. आवश्यकचूर्णि, पृष्ठ २४९ १९. वही, पृष्ठ २४९ २०. (क) वही, पृष्ठ २४९ (ख) आचारांग १/१/११ २१. (क) आचारांग टीका, पृष्ठ २७५ (आगमोदय समिति) (ख) आवश्यकचूर्णि १, पृष्ठ १४८ २२. कल्पसूत्र, कल्पलता व्याख्यान १२३-१ २३. आवश्यकनियुक्ति २०२, विशेषावश्यक १६४० आवश्यकनियुक्ति २०३, विशेषावश्यक १६४१ सचित्र भगवान महावीर जीवन चरित्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003697
Book TitleSachitra Bhagwan Mahavir Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindra Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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