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________________ 44 :: तत्त्वार्थसार 120 121 122 122 122 122 123 123 123 123 124 124 124 125 125 125 126 एक क्षेत्र में अनेक वस्तु समानेवाला दूसरा दृष्टान्त धर्म-अधर्म-आकाश द्रव्य का उपकार पुद्गलों का उपकार जीवों का और काल का उपकार वर्म द्रव्य का स्वरूप धर्म द्रव्य का दृष्टान्त अधर्म द्रव्य का स्वरूप अधर्म द्रव्य का दृष्टान्त आकाश द्रव्य का लक्षण आकाश द्रव्य का कार्य धर्मादि द्रव्यों की सार्थकता काल का प्रयोजन व लक्षण वर्तना का लक्षण वर्तना की सहायकता काल की निष्क्रियता का समर्थन निश्चय कालद्रव्य की स्थिति व्यवहार काल के चिह्न परिणाम का लक्षण कालकृत क्रिया का लक्षण कालकृत परत्वापरत्व का लक्षण व्यवहार काल-समय के प्रतीक व्यवहार काल के पर्याय भूत, भविष्यत् आदि व्यवहार का दृष्टान्त व निदान पुद्गल शब्द का अर्थ पुद्गलों के मूल भेद स्कन्ध-परमाणु बनने का कारण परमाणु का लक्षण एवं विशेषता पुद्गल का लक्षण पुद्गल के मुख्य पर्याय शब्दों के भेद संस्थान के भेद व उदाहरण सूक्ष्मत्व के भेद व उदाहरण स्थूलता के भेद व उदाहरण बन्ध के भेद व उदाहरण तम का स्वरूप 126 126 126 127 127 127 129 129 130 130 132 133 133 134 134 135 135 135 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003694
Book TitleTattvartha Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitsagar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2010
Total Pages410
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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