SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 40 :: तत्त्वार्थसार योग (चौथी मार्गणा) योग के पन्द्रह भेद मनोयोग के चार भेद वचनयोग के चार नाम काययोग के सात प्रकार शरीर के पाँच प्रकार प्रदेशवृद्धि का गुणकार तैजस एवं कार्मण शरीर का विशेष स्वरूप युगपत् अनेक शरीरों की मर्यादा तैजस, वैक्रियिक की विशेषता औदारिक, वैक्रियिक के उत्पत्तिस्थान आहारक का स्वरूप वेद (पाँचवीं मार्गण) लिंग नियम कषाय (छठी मार्गणा) ज्ञान (सातवीं मार्गणा) संयम (आठवीं मार्गणा) दर्शन (नौवीं मार्गणा) एवं उनके भेद लेश्या (दसवीं मार्गणा) भव्यत्व (ग्यारहवीं मार्गणा) सम्यक्त्व (बारहवीं मार्गणा) संज्ञित्व (तेरहवीं मार्गणा) आहार (चौदहवीं मार्गणा) आहार रहित जीव विग्रहगति शब्द का अर्थ देहान्तर के लिए गति होने का हेतु विग्रहगति मार्ग विग्रहगति के भेद विग्रहगतियों के कालनियम तथा नाम अनाहारक की समय मर्यादा जीवों के जन्म-भेद गर्भ व उपपाद जन्मवाले जीव योनि प्रकरण जन्मों के साथ योनियों का विभाग 103 104 105 107 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003694
Book TitleTattvartha Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitsagar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2010
Total Pages410
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy