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________________ द्वितीय अधिकार :: 77 भवनवासी देवों की जघन्योत्कृष्ट आयु भवनानां भवत्यायुः प्रकृष्टं सागरोपमम्। दशवर्षसहस्त्रं तु जघन्यं परिभाषितम्॥ 126॥ अर्थ-भवनवासियों की उत्कृष्ट आयु एक सागर है और जघन्य आयु दश हजार वर्ष की है। व्यन्तर देवों की जघन्योत्कृष्ट आयु पल्योपमं भवत्यायुः सातिरेकं प्रकर्षतः। दशवर्षसहस्त्रं तु व्यन्तराणां जघन्यतः॥ 127॥ अर्थ-व्यन्तर देवों की उत्कृष्ट आयु एक पल्य से कुछ अधिक होती है और जघन्य आयु दश हजार वर्ष होती है। ज्योतिष्क देवों की जघन्योत्कृष्ट आयु पल्योपमं भवत्यायः सातिरेकं प्रकर्षतः। पल्योपमाष्टभागस्तु ज्योतिष्काणां जघन्यतः॥ 128॥ __ अर्थ-ज्योतिष्क देवों की उत्कृष्ट आयु कुछ अधिक एक पल्य और जघन्य आयु पल्य के आठवें भाग प्रमाण है। कल्पवासी देवों की उत्कृष्ट आयु द्वयोर्द्वयोरुभौ सप्त दश चैव चतुर्दश। षोडशाष्टादशाप्येते सातिरेकाः पयोधयः॥ 129॥ समुद्राः विंशतिश्चैव तेषां द्वाविंशतिस्तथा। सौधर्मादिषु देवानां भवत्यायुः प्रकर्षतः॥ 130॥ अर्थ-स्वर्गवासी देवों की उत्कृष्ट आयु इस प्रकार है-सौधर्म व ईशान इन दो स्वर्गों में कुछ अधिक दो सागर प्रमाण है, तीसरे व चौथे सनत्कुमार-माहेन्द्र स्वर्ग में सात सागर प्रमाण से कुछ अधिक है, पाँचवें-छठे ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर में दश सागर प्रमाण से कुछ अधिक है, सातवें-आठवें लान्तव-कापिष्ठ में कुछ अधिक चौदह सागर प्रमाण है, नौवें-दशवें शुक्र-महाशुक्र में सोलह सागर प्रमाण से कुछ अधिक है, ग्यारह-बारहवें सतार-सहस्रार में अठारह सागर प्रमाण से कुछ अधिक है, तेरहवें-चौदहवें आनतप्राणत स्वर्ग में बीस सागर प्रमाण है, पन्द्रहवें-सोलहवें, आरण व अच्युत स्वर्ग में बाईस सागर प्रमाण है। कल्पातीत देवों की उत्कृष्ट आयु एकैकं बर्द्धयेदब्धिं नवग्रैवेयकेष्वतः। नवस्वनुदिशेषु स्याद् द्वात्रिंशदविशेषतः ॥ 131॥ त्रयस्त्रिंशत्समुद्राणां विजयादिषु पञ्चसु। अर्थ-अब जो सोलह स्वर्गों से भी ऊपर देवों के स्थान हैं वहाँ पर देखिए। एक के ऊपर दूसरा ऐसे नौ ग्रैवेयक हैं। इन सभी में बाईस के ऊपर एक-एक सागर बढ़कर अन्तिम ग्रैवेयक में इकतीस Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003694
Book TitleTattvartha Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitsagar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2010
Total Pages410
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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