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| तेइंदियकाय मइगओ उक्कोसंजीवो उसंवसे। कालंसंखेज्जसन्नियं समयं गोयममापमायए ॥११॥ चउरिदियकाय 1 मइगओ उकोसंजीवो उसंवसे । कालंसंखेजसन्नियं समयं गोयसमापमायए ॥ १२ ॥ पंचिदियकाय मइगओ | उक्कोसंजीवो उसंवसे ।सत्तभवग्गहणे समयं गोयममापमायए ॥ १३ ॥ देवेनेरइय मइगओ उक्कोसंजिवो उ
संबसे । एकेक भवग्गहणे समयं गोयममापमायए ॥११॥ एवंभवसंसारेसंसरइ सुहासुहोहकम्मेहिं । जीवोपमाय | बहुलो समयं गोयममापमायए ॥१५॥
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त्रीन्द्रिय (काया, जीभ अने नासिका) कायमा एक वखत उत्पन्न थवाथी जीवने एनी एज गतिमां संख्यातो काळ रहेवू पडे | छे, माटे हे गौतम ! कदि प्रमाद करवो नहि. (११). चउरिन्द्रिय (काया, जीभ, नासिका अने चक्षु ) कायमा एक वखत उत्पन्न
थवाथी जीवने एनी एज गतिमां संख्यातो काळ रहे पडे छे, माटे हे गौतम ! कदि प्रमाद करवो नहि. [१२]. पंचेन्द्रिय (काया, जीभ नासिका, चक्षु अने कान) कायमां एक वखत उत्पन्न थवाथी जीवने एनी एज गतिमां सात आठ भव सुधी
रहे, पडे छे, माटे हे गौतम ! कदि प्रमाद करवो नहि.(१३). देवता अथवा नारकी कायमा उत्पन्न थवाथी जीवने एनी एज गतिमा 18 एक भव रहे, पडे छे. माटे हे गौतम ! कदि प्रमाद करवो नहि (१४). * आ प्रमाणे प्रमाद वश जीव पोतानां शुभाशुभ कर्मे
करीने संसारमा नवा नवा भव करतो परिभ्रमण करे छे, माटे हे गौतम ! कदि प्रमाद करवो नहि. [१५].
* संसारमा परिभ्रमण वधारनार प्रमादज छे. जन्म मरणना फेरा वधारनार प्रमाद छे. प्रो. जेकोबी ते माटे एवा शब्दो वापरे छे के :-" Thus the soul which suffers for its carelessness, is driven about in the samstra 8 by its good & bad Karman.
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