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________________ उ.अ./ 3000०.००००००० पुढविकाय मइगउ उक्कोसंजीवो उसंवसे । कालं संखाइयं समयं गाय ममापमायए ॥५॥ आउक्काय मइगओ उकोसंजीवो उसंवसे । कालं संखाइयं समयं गोय ममापमायए ॥ ६ ॥ तेउकाय मइगओ उक्कोसंजीवो उसंवसे कालं संखाइयं समयं गोयममापमायए ॥ ७ ॥ वाउकाय मइगओ । उक्कोसंजीवो उसंबसे कालं संखाइयं समयं गोयममापमायए ॥८॥ वणस्सईकाय मइगओ उक्कोसंजीवो उसंबसे । कालमणतं दुरंतं समयं गोयममापमायए ॥९॥ बे इंदियकाय मइगओ उक्कोसंजीवो उसंवसे । कालंसंखेजसन्नियं समयं गोयममापमायए ॥ १० ॥ * पृथ्वीकायमां एक वखत उत्पन्न थवाथी जीवने एनी एज गतिमा असंख्यातो काळ रहे पडे छ, माटे हे गौतम ! कदि प्रमाद करवो नहि. [५]. अपकायमा [पाणी ] एक वखत उत्पन्न थवाथी जीवने एनी एज गतिमा असंख्यातो काळ रहे पडे छे, माटे हे गौतम! कदि प्रमाद करवो नहि. [६]. अग्निकायमां एक वखत उत्पन्न थवाथी जीवने एनी एज गतिमा असंख्यातो काळ रहे पडे छे, माटे हे गौतम ! कदि प्रमाद करवो नहि. [७]. वायुकायमा एक वखत उत्पन्न थवाथी जीवने एनी एज गतिमा असंख्यातो काळ रहे, पडे छ, माटे हे गौतम ! कदि प्रमाद करवो नहि. (८). वनस्पतिकायमा एक वखत उत्पन्न थवाथी जीवने एनी एज गतिमां अनन्तो काळ रहेवू पडे छे अने त्यार पछी पण तेनी स्थिति सुधरती नथी ( मनुष्य भव प्राप्त थतो नथी) माटे हे गौतम ! कदि प्रमाद करवो नहि. [९]. द्वीन्द्रिय (काया अने जीभ) कायमा एक वखत उत्पन्न थवाथी जीवने एनी एज गतिमां संख्यातो काळ ( हजारो वर्ष ) रहेवू पडे छे, माटे हे गौतम ! कदि प्रमाद करवो नहि. [१०]. * गाथा ५ थी ९ सुधीमां एकेन्द्रिय काय जेने मात्र स्पर्श-ज्ञानज छे तेनुं वर्णन करेलुं छे. Jain Education Intomational For Personal and Private Use Only www .rary.org
SR No.003693
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Mohanlal Damodar
PublisherMehta Mohanlal Damodar
Publication Year
Total Pages352
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size20 MB
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