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________________ २० 00000०.०००००००००००००००००रूर प्रश्नांना उत्तर रुपे फरमाच्या बाह, अनुपायीनां उपकारार्थे वगर * पुछये आ सूचना ३६ अध्ययनो फरमाचत्रानी कृपा करी.जे पराक्रमी नररत्न पारो, इंद्रभूति प्रमुख चौदहजार मुनि, चंदन वाला प्रमुख छत्रीस हजार साधवि, शंखजी, शतकजी प्रमुख एक लाख ओगणसाठ हजार श्रावक, सुलसा अने रेवती प्रमुख वग लाख ने अहार हजार भाविका, सातसें केवलज्ञानी, सातसें वैक्रीय लब्धि धारी, तेरसे अवधि ज्ञानी, पांचसे मनः पर्यव ज्ञानी, अणसें चौद पूर्वधारी, वीगेरे परिवार हतो ते प्रभुश्रीना, छेवटना शब्दो केंवा असरकारक होय तेनो ख्याल वाचको पोतेज करी शके. एका साधारण संसारी पग, मृत्यु समये पोता पासे गुप्त राखेनु द्रव्य तथा बाकी रहेलं ज्ञान पुत्रो वीगेरे ने आपे छे अने साधारण वायतो करतां अंतनी शिक्षाओ संसारीनी पण वधारे उपयोगी अने महत्वनी होय छे, तो परम उपकारी अने सर्व पाणीओने पोता समान गणनारा प्रभुश्रीना आना उदगारो अवर्णनीय, अलौकिक होय मां आर्य नथी. आ सूत्र आवा उद्गारोना अपूर्व संग्रह रूप छे. ते श्री संघना चारे अंग-साधु-साधवि-श्रावक श्राविकाओने बोधक | अने एक सरयु उपयोगी छे. पाचात्य प्रसिद्ध जैन शास्त्राभ्यासीओ भोफेसर जेकोबी, कोलक, शुद्धला, लेपन, वेबर, वार्थ, विल्सन बीगेरे जेओ परधर्मी छता, जैन सूत्रोनी श्याद्वाद वाणीपर आटला बधा आग्रहथी ललचाया छे, ते अपूर्व ज्ञान मृतथी आत्माने शान्त करवायां, छता | साधने, आपणे जैनो जो आळस करीए तो, पाकी बोरडी नीचे सुतां छां पासेज पडेलां बोर मारे अन्यनी मदद मागवा, जेवी निर्माल्य अने हास्य जनक दयामणी स्थितिना भोगता नहि थइ पडीए, ए वात आपणे खास विचारवी जोइए. सूत्रोनी भाषा आपणामांनां घणां, ते भाषाना खास अभ्यासने अभावे, वांची समजी न शका होवाथी, तेनो जोइए तेवो लाभ लेवातो नथी अन अमूल्य शीखामणोना भंडारथी अज्ञान रहे पडे छे. अशुद्ध गुजराती भाषामां उपयोगी सूत्रोनी टीकाओछ. छता सरळ स्वभाषामां तेनां भाषांतर थवानी जरुरीयात विषे श्री श्वेतांवर कोन्फरन्स अने विद्वान् श्रावको ठराव करीनेज देसी नहिं * पत्रिशतम प्रश्न व्याकरणान्य भिधाय च । प्रधानं नामाध्ययनं जगद्गुरु र भावयत । स्वामिनो मोक्ष समयं विज्ञावासन कंपतः । ००० Jain Education Intematonal For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003693
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Mohanlal Damodar
PublisherMehta Mohanlal Damodar
Publication Year
Total Pages352
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size20 MB
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