SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उ.अ. अध्ययन ४. * प्रमाद [ असंस्कृत ]. असंखयं जीविय मा पमायए जरोवणियरस हु नथ्थि ताणं । एवं वियाणाहि जणे पमत्ते किन्नुवि हिंसा अजया गर्हिति ॥ १ ॥ जे पाव कम्मे हिंधणं मणुस्सा समाययंती अमयं गहाय । पहायते पास पयठिए नरे वेराणुबडा नरयं उर्वति ॥ २ ॥ तेणे जहा संहि, मुहे गहिए स कम्मुणा किच्चइ णवकारी । एवं पया पेच्च इहंच लोए कडाण कम्माण न मोख्ख अथ्थि ॥ ३ ॥ ® अध्ययन ४. ॐ आयुष्य तूट्या पछी सांधी शकातुं नथी; ( जींदगी लंबावी शकाती नथी ] माटे हे भव्य जीव ! प्रमाद न कर. जरा प्राप्त || Aथया पछी कोइनुं शरण रहेशे नहि, तेनो विचार कर. जे प्रमादी मनुष्यो जीव हिंसा करे छे अने इन्द्रिओने वश राखी शकता नथी तेओ कोने शरणे जशे ? (१). जे मनुष्यो कुमति ग्रहण करीने पाप कर्मथी ( दगा कपटी ) धन उपार्जन करे छे, ते धन छांडीने । (स्त्री, पुत्र, कलत्रादि ) पासमा फसाई घणां पाप करीने, अने घणा जीवथी देर बांधीने नरके जाय छे. (२). जेम कोई चोर खातर पाडतां खातरने मोढेज पोते करेलां पाप कर्मथीज (खोदेली भीत तूटी पडवा) दवाइ मरे छे, तेम हे लोको ! आ लोक अने पर लोके करेलां कर्मनां फळ भोगव्या सिना छुटको नथी. (३). १. श्री सुयगडांग सूत्रना प्रथम सूत स्कन्धना बीजा अध्ययनना बीजा उद्देशानी २१ मी गाथामां आज पाठ छे. २. श्री देवेन्द्र टीकामां आ विषे वे दृष्टांत टांके छे. तेमां एक विषे तो पाठमां पण इशारो जणाइ आवे छे तेनो भावार्थ एको छ, के, घरमां दाखल थवा चोरे दीवालमां बाकोरं पाडयुं अंदर दाखल थवा पग नांख्या तो अंदर घरनो धणी हतो ते पग खेंचवा लाग्यो, | ज्यारे चोरनो सोबती बहार हतो ते तेने बहार खेंचवा लाग्यो, ताणा ताणमा उपरनी दीवाल त्रुटी पडी अने चोर दबाइ गयो. 6000000000 Jain Education Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003693
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Mohanlal Damodar
PublisherMehta Mohanlal Damodar
Publication Year
Total Pages352
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy