________________
राहियंसा गरंएक उक्कोसेणठिईभवे । भोमेज्जाणंजहन्नेणं दसवाससहस्तिया ॥२२०॥ पलिओबममेगंतु उक्कोसेण उ.अशा
ठिई भवे । वंतराणं जहन्नेणं दस व स सहस्सिया ॥२२१ । पलिओवमंतु एगं वासलख्खेण साहियं । पलिओवमट्ठ 12 भागो जोइसेसु जहन्निया ॥२२२॥ दीचेव सागराई उक्कोसेण वियाहिया । सोहम्ममि जहन्नेणं एगंच पलिओवमं 1॥२२३।। सागरा साहिया दुन्नि उक्कोसेण वियाहिया। ईसाणंमि जहन्नेणं साहियं पलिओवमं ॥२२४॥ सागरा३णिय सत्तेव उक्कोसेण ठिई भवे । सणंकुमारे जहन्नेगं दुन्निऊ सागरोवमा ॥२२५॥ साहिया सागरा सत्त उको. 18 सेण ठिई भवे । माहिदम्नि जहन्नेणं साहिया दुन्नि सागरा ॥ २२६ ॥ दसचेव सागराइं उकोसेण ठिई भवे ।
भलोए जहन्नेणं सत्राऊ सागरोवमा ॥ २२७ ॥ चउद्दस सागराइं उकोसेण ठिई भवे । लंतगंमि जहन्नेणं दसऊ सागरोवमा ||२२८॥
भूबनपति देवतानी उत्कृष्ट स्थिति एक सागरोपमथी अधिक अने जघन्य स्थिति दश हजार वर्षनी छे. [२२०]. व्यन्तर देवतानी उत्कृष्ट स्थिति एक पल्योपमनी अने जघन्य स्थिति दश हजार वर्षनी छे. [२२१]. ज्योतिष्क देवतानी उत्कृष्ट स्थिति एक पल्योपम अने एक लाख वर्षनी ने जघन्य स्थिति पल्योपमना आठमा भागनी छे. [२२२]. सौधर्म देवलोकना देक्तानी उत्कृष्ट स्थिति बे सागरोपमनी अने जघन्य स्थिति एक पल्योपमनी छे. [२२३]. इशान देवलोकना देवतानी उत्कृष्ट स्थिति वे सागरोपमथी अधिक अने जघन्य स्थिति एक पल्यापमथी अधिक छे. [२२५]. सनत कुमार देवलोकना देवतानी उत्कट स्थिति सात सागरोपमनी अने जधन्य स्थिति बे सागरोपमनी छे (२२५].माहेन्द्र देवलोकना देवतानी उत्कृष्ट स्थिति सात सागरोपमथी अधिक अने जघन्य स्थिति बे सागरो मथी अधिक छे. [२२६. ब्रह्म देवलोकना देवतानी उत्कृष्ट स्थिति दश सागरोपमनी अने जघन्य स्थिति सात सागरोपमन छे.(२२७),लान्तक देवलोकना देवतानी उत्कट स्थिति चौद सागरोपमनी अने जवन्य स्थिति दश सागरोपमनीछे/२२८]. ।
Jain Education Intomational
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org