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एए परिसहासवे कासवेणं पवेइया । जेभिख्खु नोविहन्नेज्जा पुट्ठो केणइ कहुइ तिबेमि ॥ ४६ ।।
®॥ इति परिसह झयणं बियं सम्मतं ॥ २ ॥ अध्ययन ३. *चार अंग (चत्तरंग-चोरंगी). चत्तारि परमंगाणि दुल्लहाणी हजंतुणो । माणुसत्तं सुइसा संजमंभियवीरियं ॥१॥
उपर कह्या ते बावीसे परीसह काश्यप गोत्रमां उत्पन्न थयेला श्री महावीर भगवाने मरुध्या छ, एमांना कोइक परीसहथी कोइक ६ स्थानकने विषे मडावा छतां धीरजवान साधुए पोताना संयमनो भंग करवो नहि.[४६].
. * ॥ बीजुं अध्ययन संपूर्ण.॥ *
__ अध्ययन ३. आ संसारमा मनुष्यने परम उत्कृष्ट, मोक्ष साधनना उपायरुप चार वस्तु प्राप्त थवी दुर्लभ छे:-(१) मनुष्य जन्म.१ [२] धर्मन श्रवण. [३] धर्म उपर श्रद्धा अने [४] चारित्र (संयम) ने विषे वीर्य-स्फोरण ( उत्साह ). [१].
१. प्रो. जेकोबी ए मांटे एवा शब्दो वापरे छ के-A monk should not be vanquished by them,when : attacked by any anywhere.
१. मनुष्य जन्म दश वृष्यते दुर्लभ कहेल छे ते विषे एवी गाथा छ के 'चुल्लग, पासा, धने, जूये, रयणेय, सुमिग, चक्केय, चम्म, युगं, परिमाणुं दसदि दंता मगुय भवि।' आ उपर दश कथाओ विस्तारवाली छे, अत्र विस्तारना भयथी पडती मूकी छे.
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