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________________ संगो एस मणुस्साणं जाओ लोगमि इथिओ। जस्स एया परिन्नाया सुकडं तस्स सामन्नं ॥१६॥एव मादाय मेहावी [2] उ.अ. पंकभूयाओ इथिओ । नो ताहि विहन्नेज्जा चरेज्जत गवेसए ॥ १७॥ एगएव चरे लाढे अभि भूय परीसहे । गामेवा नगरेवावि निगमेवा रायहागिए॥ १८ ॥ असमाणो चरे भिख्खू 'नेव कुजा परि गगहं असत्तो गिहथ्थेहि अणिकेओ परिवए ॥ १९॥ १. कोइ प्रतमां' नायकुज्जा'छ. [८]आ संपारमा मनुष्योने स्त्रीनी कुदरती इच्छा होय छे, ते जाणाने जे कोइ तेनो परित्याग करे छे तेज खरा श्रमण तरीके पोतानो साध्वाचार सफळ करी शके छे. (१६.) जे बुद्धिवंन पुरुष स्त्रीने खंची जवाय एवा कादव समान,( मुक्ति मार्गने विषे बंधनरुप) माने छ, तेने तेनाथी कोइ इजा थती नथी, पण ते आत्माना उद्धारने अथें धर्मानुष्ठान आवरे छे. (१७). (९) एकली, राग द्वेष रहित, निर्दोष आहार उपर निर्वाह करीने, अने सघका परीसह सहन करीने, साधुए गाम, नगर, निगमर अथवा राज धानीने विषे विहार करवो.(१८).ग्रहस्थादिकथी(संसारीथी)अलग रहीने साधुए विहार करवो, परिग्रहने विषे ममता करवी नहि; पण 18| ग्रहस्थनो परिचय त्यागीने घर रहित थइने विचरवं. (अमुक स्थळेज विना कारण पड़ी रहे नहि.)3 (१९). १.आ गाथानो प्रो. हर्मन जेकोबी एवो अर्थ करे छे के-I wise man who knows that women are a slough, as it were, will get no harm from them, but will wander about searching for the self l आ परिसह माटे टीकाकार शकडाल मंत्रीनुं द्रष्टांत आपे छे. २. वाणीनो वास होय ते जग्यो. मो. जेकोबी ते माटे Market place शब्द वापरे छ. व्यापार वाणियाओनोज प्राचिन समयथी होवो जोइए, एम साबीत थइ शके छे. ३. आ फरमानमां जेटली शिथिलता 8 तेटली भृष्टता समजवी. श्री संघे आवी शिथिलता जती करवायी अनेक अनये उत्पन्न थया छे, अने थवाना छे. टीकाकार अन्यदा दत्त शिष्यनु दृष्टांत टांके छे. ००००००००००००००००००००००००० Jain Education Intematonal For Personal and Private Use Only
SR No.003693
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Mohanlal Damodar
PublisherMehta Mohanlal Damodar
Publication Year
Total Pages352
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size20 MB
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