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२०००
उ.अ.
दिगिछा परिसहे १ पिवासा परिसहे २ सीय परिसहे ३ उसिण परिसहे ४ दस मंसय परिसहे ५ अचेल परिसहे
६ अरई परिसहे ७ इथ्थी परिसहे ८ चरिया परिसहे ९ निसीहिया परिसहे १० सिज्जा परिसहे ११ अक्कोस परि8 सहे १२ वह परिसहे १३ जायणा परिसहे १४ अलाभ परिसहे १५ रोग परिसहे १६ लणफास परिसहे १७
जल्ल परिसहे १८ सक्कार पुरस्कार परिसहे १९ पन्ना परिसहे २० अन्ताण परिरहे २१
(१).दिगंछा [क्षुधा] परीसह. [२].पिवासा [तृषा परीसह.[३]. सीय (शीत, टाढ) परीसह. [४]. उसिण (उष्ण, ताप) परीसह. [५]. दस मंसय [डांस, मच्छरादिना डंख ] परीसह. [६]. अचेल १ (वस्त्रनी ताग) परीसह. [७]. अरइ२ [अरति, अ. धीरपणुं] परीसह. (८). इत्थी [स्त्री] परीसह. (९). चर्या [भटकती जींदगी ] परीसह. (१०). निसीहिया (नषेधिकी, स्वाध्याय) परीसह. (११). सिज्जा (शय्या) परीसह. [१२]. अकोस (आक्रोष, अशुभ वचन) परीसह. [१३]. वह [वध, मार] परीसह. [२४], जायणा (याचना) परीसह. [१५]. अलाभ (कोइ आपवानी ना पाडे ते) परीसह. [१६]. रोग [ मंदवाड] परीसह. [१७]. तणफास [तृण स्पर्श ] परीसह. (१८). जल्ल [मळ, मेल] परीसह. [१९]. सकार-पुरकार (सत्कार-पुरस्कार, आदर-सत्कार) परीसह. (२०). पन्ना [प्रज्ञा, ज्ञान] परीसह. [२१]. अन्नाण (अज्ञान) परीसह.
2. आ शब्दनो अर्थ प्रो. जेकोबी Nakedness करी ते फक्त जीन कल्पीने लागु पडवानुं जणावे छे अने टीकाकार देवेन्द्र वस्त्रनी अल्पता सुचवे छे. भावार्थ एवो लेवानो छे के वस्त्रो पुरा न मळ्यां होय तो पण समता राखवी. २. टीकाकार तेने माटे-संयमने विषे अधीरपणुं छांड-ए शब्दो वापरे छे त्यारे प्रो. जेकोबी एवो अर्थ करे छे के-To be dis. contented with the object of control. ३. Place for study-अमुक स्थळे बेसी रहेवानो भावार्थ समायेलोछे.
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