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तीसेउ जाईइउपावियाए वुच्छ्ामुसो वागनि वेसणेसु ।' सव्वस्स लोगस्सदुग छणिज्जा इहं तु कम्माई पुरे कलाई ॥१९॥ सो दाणिसिं राय महाणुभागो महडिओ पुन्न फलो ववेओ। च इत्तु भोगाइं असासयाइं आयाणहेऊं अभिनिखमाहिं ॥२०॥ इह जीविए राय असासयंमि धणियं तु पुणाई अकुब्बमाणो। से सोयई मच्चुमुहो वणीए धम्मंअकाऊण परंमिले.ए ॥२१॥ जहेह सीहोवमियं गहाय मच्चूनरंनेइहु अंतकाले । नतस्समायावपि यावभाया कालंमि तस्सं स हरा भवति ॥२२॥ नतस्सदुख्खं विभयं तिनाइओ न भित्तवग्गान सुयान बंधवा । एगोसयं पच्चणुहोइ दुख्खं कत्तारभेवं अणुजा इकम्मं ॥२३॥
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. "चांडाळनी अधम जातिमा उत्पन्न थवाथी आपणे चांडाळनां झुपडामा रहेता सौ लोकनो द्वेष सहन करता. आ जन्मने । विषे तारा पूर्व भवे करेला शुभ कर्मनो उदय थयो छे. (१०). "हे राजन! आ काळने विषे तुं महा रिद्धिवान अने महानुभाम राजा ययो छे ते तारां (पूर्वनां) पुण्यनुं फळ भोगवे छे. 1 अशाश्वत भोग छांडीने मोक्षदाता २ चारित्र धर्म अंगिकार कर. [दिक्षा ग्रहण कर. (२०). "हे राजन! आ अशाश्वत मनुष्य जीवितमा जेणे सुकृत्यो अने धर्म कर्या नथी तेने ग्यु समये पश्चाताप थाय छे. [२१]. जेम सिंह मृगमे पकडी जाय छे तेम मरण काळे काळ मनुष्यने लइ जाय छे. ते वखते माता, पिता, बांधव कोइ- तेना जीवितने जा पण बचावी शकतुं नथी. [२२] "स्वजन, मित्रवर्ग, पुत्र, बांधव कोइ तेना दुखमां भाग लइ शकतुं नथी; जीवने एकलानेज सर्व दुःख सहन करवां पडे छे; कारण के कर्मनां फळ ते करनारनेज भोगवां पडे छे. (कर्म करनारनी पाछळज कर्म जाय छे अथवा तो कर्मनो का एज कर्मनो भोक्ता छे.) [२३].
१. Transitory.२. The highest good. ३. खावावाळा खाइ जाय छे पण पापी कमनुं फळ पाप क नारने शीर || | रहे छे. माटे नीतिमय जीवनथी-पापथी बची कुटुंबर्नु भरण शेषण करवानो आशय आगाथापरथी नीकळी शके छे.
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