SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (४) ॥ चोपा॥ कमें नमीयां वीर जिन कहुं, ब्राह्मण कुल अवतारज लहुँ ॥ गणधर तात दो पण लह्या,दश एकादश माने कह्या ॥१॥ कर्मे नंदीषेण वेश्याघर लह्यो, कर्मे अरणिक एमज कह्यो ॥ कमें आषाढनूत एम रख्यो, नटवीने जश्ने मल्यो ॥२॥ कर्मे सीता रावण हरी, ने पोतानी ते पुतरी ॥ कमें नगिनी परण्यो जोग, कमें जननीशु कीधो लोग ॥३॥ अकह कहाणी ए पण होय, कुबेरदत्त एहवे कमें जोय ॥ अढार नातरां एहनां कडं, त्रिहुं मलीने बहोंत्तेर लडं॥४॥ प्रसिक वार्ता डे ए घणी, कहेतां वार लागे बिमणी ॥ एवा दृष्टांत जिनशासन अनेक, कहेतां नावे तेहनो डेक ॥ ५॥कर्म आगल नवि चाले कंप, कर्मे राजा थाये रंक ॥ एम वस्तुपाल मन निश्चय कीध, पूरव पुण्य ते उंग सिक ॥ ६॥ कि तणो ते घर नहीं पार, राय बोलावे जीजीकार ॥ परलोक साधन हुँ हवे करूं, जिम नवसायर लीला तरूं ॥ ७॥ एम कही गुरुवंदन जाय, माणिक मुनिना प्रणमे पाय ॥ गुरु उपदेश ते दीए रसाल, धर्म सांजली समज्यो वस्तुपाल॥७॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy