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________________ (७३) फिट लूंमी पापणी रे, एहवो न कीजे रोष के ॥ना ॥७॥ नारीवचन ते सांजली रे, साजन दहुँ दिशे जाय ॥वा॥प्रधान पासे जेता रह्या रे, ते लघु शाखा कहीवाय ॥ ना ॥ ए ॥ पाय लागी मंत्री विनवे रे, साजनांशुं जोर न थाय ॥ वा ॥ लाजे पड्या केता वाणीया रे, प्रधाननी बांह साय ॥ना॥१०॥ लघु शाखा तिहां थापता रे, निज निज न्यात कहीवाय के ॥ वा ॥ शाखा प्रशाखा प्रस्तरी रे, बीजो नहीं किसो अन्याय के ॥ ना० ॥ ११॥ यशोमती न्यात अजुबालती रे, राख्यो न्यातनो बंध के ॥वा० ॥ वृद्धशाखी ते जाणीए रे, लघु वस्तुपालथी संध के ॥ ना० ॥ १२॥ ॥दोहा॥ ॥ उद्यम कीधो मंत्रीश्वर घणो, कोइ नाव्यो ते पिण कार ॥ हवे निज न्यात पोखे सदा, मंत्री जाणे अथिर संसार ॥ १॥ एम जाणी मंत्री वली, केहगुं नाणे शेष ॥ नावी पदारथ नवि टले, निज मन आणे विवेक॥२॥ सिरज्युं किमह न बूटीए, जो पेसीए पाताल ॥राजा हरिचंदने वली, फुःख पड्यां अकाल ॥३॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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