SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (६०) राय उपर बहु धरतो रंग ॥१६॥शरद् कालनांनीपन्यां घृत, तरुणी स्त्रीए ताव्यां धरी हित॥ त्रीश राजकुली ते वावरे, या घृत अश्व हस्ती चरे॥१७॥ एणे अवसर मंत्री वस्तपाल, नूपचरणे आव्यो ततकाल ॥ खमा खमा करी पाये पडे, श्रा अवस्था खामी शुं नडे ॥ १७ ॥ राजा मनमा लाज्यो सही, सघली वात तेसाची कही। उदयन सूर्यमब चामी करे, तुज हणवा हुं याव्यो खरे ॥ १५॥ तुं प्रधान पुण्यवंतज खरो, गम ठगम साचो उतस्यो । करी प्रशंसा माने राय, चुगल लाज्यो त्यां मन मांय ॥२०॥ वैरी मनमां कांखो थयो, राये हणवा थादेश दीयो ॥ दयावंत वस्तग तेजपाल, उदयन मूकाव्यो ततकाल ॥१॥ चुगल काढ्यो देश बहार, नगर मध्य हुई जयकार ॥ राजा प्रधान हवे करे कसोल, पुण्यवंत प्राणी सदा रंगरोल ॥ २ ॥ चोथो खंग कह्यो सुखकार, श्री विजयदान सूरि गुरु आधार ॥ पंमित गोपजी गणि रंगविजय शिष, मेरु विजय पूरो मनह जगीश ॥२३॥ ॥दोहा॥ ॥सरस वचन दी सरस्वती, वरसती वचनविलास Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy