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________________ ( ६ ) ॥ पंचम खंग कहुं वली, वस्तुपाल केरो रास ॥ १ ॥ हवे पुण्यपवित्र वस्तुपाल कहे, सांजल नाइ तेजपाल || पूर्व पुण्य बहु याचस्यां, तो माने नूपाल ॥ २ ॥ नूपतपे जलं साजनुं, नात समो नहीं कोय ॥ एम जाणी मंत्री वली, साजनुं मेले सोय ॥ ३ ॥ नात चोराशी त्यां वसे, मंत्री दीए जाजां मान ॥ धवलकपुर रवियामणुं, त्यां न्यात मिली अनिराम ॥ ४ ॥ ॥ चोपाइ ॥ - ॥ श्रीश्रीमाली जैसवाल पोरवाल, गुजर मींकु दीसावाल ॥ खगायता खंडेर खंगोल, कठणि राका किला कपोल ॥ १ ॥ नाहर नागर नाणावाल, प्रोढ लाग लाकुआ श्रीमाल || हालर हरसोरा हुंबमा, श्री गोम कालोरा जांगमा ॥ २ ॥ धाकमी आ जमीय मूंगमा, ब्रम्हाणा वीजू वायमा || गोनू अमालजा मांगलीच्या मोढ, पंचम पुष्पर जंबूसरा सोढ ॥ ३ ॥ सोरवाल ने जदेउरा, चितवाल सुरही खरा || मादर कंबोजा करिही रसाल, पोरवान सोरठीया पल्लीवाल ॥ ४ ॥ मंमाहमा मंगोरा मेवाम, वाल्मीक जाचा चित्रावाल || नरसिंगपुरा सूर कहीए खंडेर, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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