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( २२७ )
छे नगमां, घाशे लविन्ग्यवंतालानार्धति
॥ ढास सातभी।
डोयो परवत धुंधलोरे लालाने देशी ॥ मनिन निग्भतथापतांरेलाल, खाव्या निएरोसर पासरे गावासेसशाएगा डारड पीपहिसे हो सास, अनुपम वयन विसासरे गावाले सशाशान्योन्यो न्निवर नगशुई हो साल, ने हथी भटेलवपास रेशावा जे जांएगी। हंसा सहित ज्ञानी म्ह्यो हो सास, देशें विराध साथ शावाणाज्ञान रहित क्रिया उरे हो सास, ते पए। विराधञ्चाथरे॥वाना आशादेशें देशें डीपगारीया होगा समुहाय सिध्धि लहंतरे॥वाणातिलस मूर्हेने हनीपने होगा जिंदु जिंदुयें सर कुंत रेशावाणान्नाशात्रएालुव ननायोगथी होगा पूरए। लोङ उद्देवाय रे गवाणाडेभतेोऽभांथापियें होगा जेसेचे तृमिनथाय रेशावाणान्नानाज्ञान समस्ति घोरीच हे होगा संयभरथ सुविधास रेशावाणा जेसी ग्निपंथे पढ्या होगाथा शेते परम निहासरे ॥बाणान्नापानिन निन्पत्प्राप्ति सुधिहोणा ज्ञानायाराहिङ सेवरे गावाना धर्मशुल परिएगा में उरी होणा येणें होय शिवहेचरेगवाणान्नाशाहंसा ज्ञानमांलेलवी होगा ज्ञान क्रियायें हरी सिष्यरे गावागा पंशु संघ नर हो भली होगा भनहु मनोरथडीघरे गावागावांगानेरसा चयन विचार छे होगा तेरा नयना बाहरेगावा सहु अंतर प्रीति डरे होणासुएगी वीर वधननो स्वाहरेश वाणान्नाना ॥ ढास साडभी
॥राग धनाश्री ॥ श्री महावीर न्निनागुएागावो, संशय मनना मिटावोरे॥मुक्ताईसनाथास लरीनें, प्रलुलनां ज्ञान चघावोशाश्री० शाजा समये श्रुतज्ञानी भोटा, शुध्यस्वरूप समन्नवेशाज्ञानीनोन्ने विनयनसेपे, तो अतिधारता थावेरे ॥ श्रीणाशाखावश्यमाहिङ ग्रंथथीन्नेछ, रन्थनाउरी मनोहारोगा हीनाधिङ निः जुष्ये डेहेवायुं, ते श्रु तघर सुधारोरे ॥ श्रीगाणामुँनि उरे सिध्धि पहनने वरसें, जाहमसु
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