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________________ ९ ८३ ) ॥ जथ गिरनारनो छंद ॥ ॥घेहा ॥ सोरठ में सोहाभणो, तीरथ में जतितुंगागिरिवरभं गिरनार गिरि, लूघर लूषएापंगा था निशाएगी छंघातीरथ अतिता लं, मोटी भाल, राम भन मोहंदा हे । जति विषभाहीपे, जरिहलकंपे, शिजर सात सोहंहा हे। निञरणां भरतांन्स जहु बहुंता, छारोपभरा वंहा है। गिरनार गिरिंदा, नेभि निएणंध, दर्शनसुन पावा हे ॥शा मे मांडणी ॥ घभोहर तीरं, निर्भस नीरं, न्ग्सथर डेसिङरहा है।लेगीसं न्याशी, विष्णु डीपासी, निश्यल ध्यान घरंहा हे।प्नाह्मएा स्तुति उ२ता, वह लएांता, गीताशुए। गावंघ हे । गिरिनार ॥शामृगकुंड जिरा ने, सन्ग्सो छाले, वृक्षतणां तिड़ांवृघड़े । तिभ भासी पर्चे, सूरिन्नस र्वे,गीतज्ञान सुज हा हे। षटदर्शन वासी, धर्म्म जल्यासी, सम्स सोड जावंध हे गिरिनारणाआलीमकुंड लखेरा, गन्पहडेरा, ग्यानवाच निरजंहा हे। अथसिया मुंड, उभंडसलंड, न्सलरी हेजी मन हरजंहा गतिहां जहुवनयर, जेथरलूथरन्स जडावरया है। गिरिनारणाच योराशी सिध्यं, निर्भस जुध्यं, निश्यस घ्यान घरंहा है। दूधाधा री, पवन आहारी, धूम्रपान विरयंध है। धोराशी जासन, पसि विड यसन, योगासन लावंघ हे । गिरिनारणापासहसावन सुंदर, नेभि निएगेश्वर, प्रत उल्याए। उहा है । तिम गिरिपर सुंदर, नेभिनिएऐश्व रडेवल ज्ञान घरंहा है। गिरिशृंगें निर्मल, अतिशुचि अन्न्चस, मुक्ति, मोहुस पोशिंदा है। गिरिनारनाद्यार्घए। डुंगर दीपर, जहुसभुनीय र, व्रत परथज्जाए। उरहा है । तिम समङित घारी, जहु नरनारी, गिरिचर ध्यान घरंहा हे । जानम जम्वाली, सद्‌गतिधारी, धर्मघ्या नघ्यावंहा दे॥ गिरिनारणाणाहेवस जतिसुंदर, निम सुरमंदिर, तिभग्निलुवन सोहुंघ है।करएागढ आवड, न्ग्नि भत्त घारड, निर जी मनमोहंदा है।पून तिहां विरये, संध्न पश्ये, लाव लसोलावं हा हे। गिरिनारणा ॥ जंजाल सारी, सज सुजडारी, नगांजा Jan Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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