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(३१) गले, मन माचे ॥ हवे जंबु सोहम पास, संजम जा चे ॥पांचशे सत्तावीशशु, व्रत सीधुं बे॥ कदे मोहन माहाराज, कारज सीधुं जे ॥ ७॥ इति ॥४॥
__॥अथ गहूंली बावीशमी॥ ॥बेनी नरजव पुण्ये पामी रुघडारे, शुचि रुचि करो शणगार रे ॥ वधावो गुरुने मोतीये रे ॥ बेनी दर्शन करो श्रादि देवनुं रे, बेनी वली वली वांदो रे अणगार रे ॥ व ॥१॥बेनी मयगल परे मुनि मा लाता रे, बेनी मधुकर परें लीये आहार रे ॥व०॥ बेन आतमराम रमे रंगशुं रे, बेनी सूत्र अर्थ नय नंमार रे॥ व ॥२॥ बेनी श्म सोहागण पूरे साथि यो रे, बेनी गा मंगल गीत रे ॥व०॥ बेनी विधि शुं वधावी करो बुबणां रे, बेनी ए जिनशासन रीत रे॥१०॥३॥ बेनी पच्चरकाण करो पाय पूजीने रे, बेनी वीरवाणी पीयो रसाल रे ॥ व ॥ बेनी शुद्ध होये आतमा श्रापणो रे, बेनी शिवसुख लहीयें रसा ल रे॥२०॥४॥इति ॥॥
॥अथ गढूंली त्रेवीशमी॥ ॥ विमल गिरि रंगरसे सेवो ॥ ए देशी॥ . ... ॥ मुनिवर मारगमां वसिया, वसी उन्मारगथी ख
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