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चतुरंगी सेनायें परिवस्यो ए, श्रेणिक रायनो पुत्र । न॥ तस राणी पद्मावती ए, नवशत अंग धस्या शणगार ॥ न० ॥६॥ स्वामी सुधर्मा जिहां अडे ए, तिहां श्राव्या कोणिक राय ॥ न ॥ पंच अनिगम साचवी ए, नक्तियें हर्ष नराय ॥ न० ॥ ७॥ साथी यो पूरे प्रेमशं ए, चौगति पुःखवारणहार ॥ न ॥ पद्मावती राणी वधावतां ए, उबाले अक्षत सार । न० ॥ ॥ करे परम गुरुवंदना ए, नवजल तारण नाव ॥ न ॥ लहे मुक्तिपद शाश्वतुं ए, जे वांदे गुरु जले जाव ।। न ॥ ए| ति॥
॥अथ गहूंली दशमी॥ ॥समुविजय सुत चांदलो॥शामलिया जी ए देशी॥
॥ वानता नयरी निर्मली। जिनरायाजी ॥ जिहां समोसस्या आदिनाथ ।। सुर नमे पाया जी ॥ सम वसरण देवे रच्यु ॥ जि ॥ तिहां बेग त्रिजुवननाथ ॥सु ॥१॥ कंचनकांति तनु दीपती ॥ जि ॥ गजसरखी जस चाल ॥सु॥ दीर्घनुजा तनु दीप ती॥ जि० ॥ तस रूडां नयन विशाल ॥ सु ॥२॥ नरना अमरना इंदला ॥ जि॥ तेणें शुणियां चर णसरोज ॥ सु ॥ मुखशोजायें लाजियो॥ जि०॥
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