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(४) केवल बेश् शिवपूरकू पहोचे, पारसनाथ मुफ मतवाला ॥लगी ज्योतमें ज्योत दीपकी,तपेतेजका अजुवाला॥ वीसनगरमें पारसनाथका, देवल बनाया तेताला ॥ बडे देवलमें इंदर सोहे, घंट वाजता चोताला ॥१२॥ बमी जुगतसे सिंघासन कर, कोट बनाया देवलका ॥ जगोजगोपर शिखर चढाया, बमा काम दरबाजेका ॥ नामंडलके आगे शोजता, मूल गंजारा आरसका ॥ पी. पचीश देरीयां सोजित, सिरे काम सिंहासनका ॥ मूलनायकके उपर सोहे, सहस फणा महाराजजीका॥ चोमुखकी चतुराश बनी हे, एसा काम में नही देखा। अढारसे पांसह सवा, मुहूर्त फागुणमास बमा ॥शु दित्रीजकू तखते बेठे, जगोजगोपर नाम चला॥१४॥ देस देसके संघ बहु मिलकर, तेरे दर्शनकुं श्राया ॥ जगत् गुरू जिनराज जगत्में, बमी तेरी अकल माया॥ धर्मचंद जोश्ता सवाश्ने, बमा सामी वात्सत्य कीया। सकल संघकी याज्ञा लेकर, बमा शिखर नीसान दीया ॥१५॥ करमचंदने देवचंदने, खेमचंदने खुब कीया ॥ पारसनाथकुंतखत बेगके, जगोजगोपर नाम कीया ॥ कीर्तिविजय गुरु राजजी प्रणमुं, पायगुरुका राज बडा॥ गबुबचंद साहेबके आगे, जिनशासनका काम बमा
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