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________________ राजबोकें चले जंगलमें, जुगतीसें काउसग्ग कीया। बडे धीर गंजीर तुमने, तीन लोकमें नाम कीया उष्ण कालकी बमी धूपमें, निरंजन निराकार खमा ॥कमग सुरने कीया कमाका, नननंडल बादल चमा ॥॥ उदी दिनको कमगसुरने, पीबला दावा जगवाया ॥ मेघमा लिकी सेना लेकर, जलकू जलदी बुलवाया ॥ बमा कीया घमघोर जोरसे, पवन चलाया मतवाला॥ कमम कमर कर हुवा कमाका, चमक बीजका अजुवाला || मूसल धारें मेघ बरसता, गगन गाजता चोताला ॥ सात खूमकी बमी ऊमीमें, प्रनु खमा हे मतवाला॥ नाक बराबर थाया पानी, नाथ निरंजन धीर बमा । पराजय नहीं होय जिनुका, ऐसा प्रनुका ध्यान चमा ए संकटसें सिंहासन मोत्या, दूवा घंटका अवाजा ॥थ वधि ज्ञानसें इंसें देख्या, धा धा धरणी राजा ॥ध रणीधर जलदीसें आया, पदमावतीकू संग लीया ॥ पदमावतीने लीयेशीरपर, शेषनागके बत्रकीया॥१॥ कोमिउपाय कीये कमग्ने, कुबइलाज नही चलता ॥ तरनेवाला साहेब उनकुं, बलने वाला क्या करता ॥ जीते श्रीजिनराज हारके, कमउहाथ दो जोम खमा॥ धरणीधर साहेबके आगे,अरजी करता खमा खमा ११ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003687
Book TitleStavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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