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दूर दोकावे, बेखबर साहेब दुःख पावे ॥ रथ जंगल में जाये सूके, साहिब सोया का न बूजे ॥प ॥ ॥ ३ ॥ चोर वगारे उहां मिली श्राये, दोनोकूं सद प्याले पाये ॥ रथ जंगलमें जीरण कीना, माल ध नीका उदारी लीना ॥ पां० ॥ ४ ॥ धनी जग्या तब खेडू बांध्या, रास परोना लेई सिर सांध्या ॥ चोर जगे रथ मारग लाया, अपना राज विनय जीजं पाया || पां० ॥ ५ ॥
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पद तेरमुं ॥ श्रीराग ॥ अजब तमासा एक जा या ॥ कोहु जातु है दोनुं जोरे, पिबला श्रगिलेसुं हास्या || जब ॥ १ ॥ आए नजिक मिले जब पिबला, तव अगिला दूरी हु दोरे || पिबला जोरस जोया चाहे अगिला दोरतही दोरे ॥ जब० ॥ ॥ २ ॥ खोह खाड खाते न विचारे, गिला यां खो मुंदी मगे ॥ पिला बपरा बिनुं बिनुं श्रटके, क यरे ऊंखर जाय लगे || अजब० ॥ ३ ॥ तब प्रजने एक ठेर पठाया, उने जाय अगिला बांध्या ॥ पिठ ला तव थे रहा उदासी, साहिबने ही बहु सुख सा ध्या ॥ अजब ॥ ४ ॥ एक नीच यति एकहि म ध्यम, एक उत्तम प्रजुकूं प्यारा ॥ या तिनोकूं विनय
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