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________________ (११) एक सींग अरु पूल नहि, सर लक्षण दि. ७ गुण सबदकें लीजियें, जात पात न विचार; दतात्रेयने वीश गुरु, करि गुन लीने सार. ॥अथ स्त्री विष दोहा॥ ॥ मोह्या दानव देवता, नर मोह्या संसार; . नारी महियल मोहनी, कहि नरपति सुविचार. १ ज्यां नारी त्यां नर वसे, नर त्यां वसती नार; कवि नरपति श्म उच्चरे, जिम शिव शक्ति संसार.५ जोअंतां हियडं हसै, व्है रलियाश्त मन्न; कहि नरपति सुण बापमा, नारी नाम रतन्न. ३ जो नारी नयणे मिले, जाणे दीठी जाख; वावणहारो एक जण, चावणहारा लाख. नारी वीण दहामो कीसो, कह किम रयणि विहा; अति चाख्या रस रूअमा, ते श्रासमी न हाइ. ५ नारायण नारी वडे, कीधो दैत्य संहार; कहि नरपति सुण बापमा, तिरिया त्रिभुवन सार.३ नारी पाखें नवि सरे, किम वाधे संसार; तिरिया सविहूं वालही, अमिय तणा नंमार; ७ श्रांबा रायण सेलमी, मीगं एह अपार; तिरिया तोले को नहीं, कहि नरपति सुविचार. ७ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003687
Book TitleStavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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