SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 118
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१७) ॥ शालिन सुख जोगवे, दान तणे सुपसाय ॥ ल लना ॥ दा० ॥५॥ आप्या अमदना बाकुला, उत्तम पात्र विशेष ॥ ललना ॥ मूलदेव राजा थयो, दानतणां फल देख ॥ ललना ॥ दा ॥ ६ ॥ प्रथम जिणेसर पारणे, श्री श्रेयांस कुमार ॥ खलना॥ सेल मीरस वहोरावीयो, पाम्या नवनो पार ॥ ललना ॥ दा० ॥७॥ चंदनबाला बाकुंला, पडिलाच्या महा वीर ॥ ललना ॥ पंचदिव्य परगट थयां, सुंदररूप शरीर ॥ ललना ॥ दा ॥ ॥ पूरव जव पारेवहुँ, शरणे राख्युं सूर ॥ ललना ॥ तीर्थंकर चक्रवर्तिप णे, प्रगट्यो पुण्यपंगुर ॥ ललना ॥ दा॥ ए॥ गजनवे शशलो राखियो, करुणा कीधी सार ॥ ल लना ॥ श्रेणिकने घरे अवतस्यो, अंगज मेघ कुमा र ॥ ललना ॥ दा ॥ १० ॥ एम अनेक में उमस्या, कहेतां नावे पार ॥ ललना ॥ समयसुंदर प्रनु वीर जी, मुफ पहेलो अधिकार ॥ ललना ॥ दा॥११॥ ॥दोहा॥ ॥शियल कहे सुण दान तुं, किस्यो करे अहंकार॥ आमंबर आठे पहोर, याचकशुं व्यवहार ॥१॥अं तराय वसि ताहरे, नोग करम संसार ॥ जिनवर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003687
Book TitleStavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy