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(१०५) पस्या करे॥सा॥देखि राजिमती निचोवे चीर ॥ जि न॥३॥प्रगट थश्तेबोलीयो॥सानाजीम करो मन उदास॥ जिन॥४॥नेम गयो तो नबुं थयुं ॥सा॥
आपणे करशुंजोगविलास ॥ जि ॥ उत्तम कुलनो उपनो ॥ सा ॥ तुं बोल विचारी बोल ॥ जिन ॥ ॥५॥ संयम रत्नने हारीया ॥ सा ॥ वली कीधीत्र तनी घात ॥ जि० ॥ रहनेमि तव बोलिया ॥ सा॥ माता राजिमती उगार ॥ जि० ॥६॥ नेमीशर कने मोकल्या ॥ सा ॥ फरी लीधो संयम जार ॥ जि . नेम राजुल केवल ल॥ सा ॥ पहोता मुक्ति म कार ॥ जिन॥७॥पीयु पहेलां मुगतें गयां ॥ साण ॥ राजिमती तेणि वार ॥ जिन ॥ रूपचंद रंगे मल्या ॥ सा ॥ प्रनु उतारो नवपार ॥ जिन ॥ ७॥ ॥अथ दानशियल तप नावनानुं चोढालीयुं प्रारंजः॥ ॥हा॥प्रथम जिणेसर पाय नमी, पामी सुगुरुप्रसा द ॥ दान शियल तप नावना, बोलिश बहु संवाद ॥१॥ वीर जिणंद समोसस्या, राजगृही उद्यान ॥ समवसरण देवे रच्युं, बेग श्रीवर्डमान ॥२॥ बेठी बारे परखदा, सुणवा जिनवर वाण ॥ दान कहे प्रतु हुँ वहुं, मुऊने प्रथम वखाण ॥ ३ ॥ सांजलजो
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