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(११) गति चार ॥ में ॥ १॥रावण सरिखो रोलव्यो ॥ मोरी० ॥ जे लश् गयो सीता नार ॥ में ॥ ना। विषनी कुंपली ॥ मोरी०॥ मायानी मोहन वेल ॥ में ॥२॥ बपन्न कोडि जादव मिट्या॥ मोरी० ॥ श्म कहे ते वारोवार ॥ में ॥ रूपचंद रंगे मल्या ॥ मोरी० ॥ नेम नहिं परणे निरधार ॥ में ॥३॥
॥ ढाल पांचमी ॥ अवला बोल न बोलीये ॥ वर राजाजी ॥ तमे परणो नेम कुमार ॥ म करो दवा जाजी ॥ एकवीश तीर्थंकर थया ॥ वर ॥ ते तो सर्वे परण्या नार ॥ म करो ॥१॥ नारी खाण रत न तणी ॥वर॥ तेनु मूल्य केणे नवि थाय॥ म करो ॥ नारीमाथी नर नीपना ॥ वरण ॥ तुम सरिखा श्रीनगवान ॥ म करो॥२॥ नेम न बोले मुखथकी ॥ वर ॥ मांड्युं विवानुं मंमाण ॥ म करो ॥ उग्र सेन घर बेटमी ॥ वरण ॥ ते नामे राजुल नार ॥म करो ॥३॥ ली, लगन उतावलुं ॥ वर० ॥ श्रा प्यां लीलां श्रीफल हाथ ॥ म करो जमण लाडू लापसी ॥ वर ॥ वली सेवश्यो कंसार॥ म करोग ॥४॥ श्राबी जलेबी पातली ॥ वरण ॥ वली मांहे घेवरनो नाग ॥ म करो ॥ खारी पुरीने दहीथरां
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