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(एए) य कुल चंदलो ॥ शामलीयाजी॥ शिवादेवी मात म लार ॥ वर पातलीयाजी ॥एक दिन रमवा नीसख्या ॥ शा॥ श्राव्या आयुधशालामांहे ॥ व ॥१॥ सारंग धनुष चढावियुं ॥शा ॥ तेणे हव्या आका शें ॥ व०॥ चक्र उपामीने फेरव्यु ॥ शाागदा लीधी करमाहे ॥ व० ॥२॥ नेमे संख वजामीयो ॥शा ॥ तेणे मोल्या महिना मेर ॥ व० ॥ शेष ना ग तिहां सलसख्या ॥ शा० ॥ खलजलीया सायर सर्व ॥ व ॥ ३ ॥ गिरिवर टूक त्रूटी पड्यां ॥शा॥ थरहर कंपे लोक ॥ व० ॥ कोश्क वैरी ऊपनो॥शा॥ श्म करता कृष्ण विचार ॥ व० ॥४॥ आल्या तिहां उतावला ॥ शा० ॥ जिहां डे नेम कुमार ॥ व ॥ रूपचंद रंगें मन्या ॥ शाण ॥ ताहारुं बल जो वानी खंत ॥ व०॥५॥
॥ ढाल बीजी ॥ कृष्णे कर लंबावीयो ॥ हसि बो लो जी ॥ तुमे वालो नेम कुमार ॥ अंतर खोलो जी ॥ कमलनाल परें वालीयो ॥ हसी० ॥ क्षण नवि लागी वार ॥ अंत ॥१॥ नेमे कर लंबावीयो॥ हसीन ॥ कृष्णे नवि वाल्यो जाय ॥ अंत ॥२॥ हाले कृ ष्ण हिंचोलीया ॥ हसीमा तिहां हरि मन ऊंखो था
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