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________________ (LUG) ॥ जय० ॥ चोथी धारति नित्य नवी पूजा, देवरु पज देव छावर न दूजा ॥ ज० ॥ ५ ॥ पांचमी श्र रति प्रभुजीनें जावे, प्रभुजीना गुण सेवक इम गावे ॥ ज० ॥ ३ ॥ धरति किजें प्रभु शांति जिणंदकी ॥ मृगलंबनकी में जाउं बलिहारी, जय जय आरति शांति तुमारी ॥ विश्वसेन अचिरा देवीको नंदा, शांति जिणंद मुख पूनमचंदा ॥ जय० ॥ ४ ॥ आर ती कीजें प्रभु नेम जिणंदकी, शंख लंबनकी में जाउं बलिहारी ॥ श्र० ॥ समुद्रविजय शिवादेवीको नंदा नेम जिणंद मुख पूनमचंदा ॥ ० ॥ २ ॥ आरति कीजें प्रभु पास जिणंदकी, फलिंदलंबनकी में जाउं बलिहारी ॥ ० ॥ अश्वसेन वामा देवीको नंदा, पास जिणंद मुख पूनमचंदा ॥ ० ॥ ६ ॥ यारति किजें महावीर जिणंदकी, सिंद लंबनकी में जाउं ब लिहारी ॥ ० ॥ सिद्धारथ राया त्रिशला देवीको नंदा, वीर जिणंद मुख पूनमचंदा ॥ ० ॥ ७ ॥ धारति किजें प्रजु चोवीश जिणंदकी, चोवीस जि णंदकी में जाउं बलिहारी ॥ चोवीसे जिणंद मुख पूनम चंदा ॥ ० ॥ ८ ॥ कर जोमी सेवक इम बोले, नहि कोइ महारा प्रभुजीने तोले ॥ ० ॥ ए ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003687
Book TitleStavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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