SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मंगावं, मोगर लाल गुलाल ॥ आज ॥४॥ समव सरण आदीसरजीको पूजु, चोमुख प्रतिमा चार ॥ आज ॥५॥ हिये धरी नाव नावना नावं, तुम प्रनु तारणहार ॥ आज ॥६॥ सकलचंद सेवक जिनजीको, आनंदघन उपकार ॥ आ० ॥७॥ ॥अथ मांगलिक दीपक ॥ ॥ दीवो रे दीवो मांगलिक दीवो ॥ आरती उता रो ने बहु चिरंजीवो ॥ दी० ॥१॥ सोहामणुं घर पर्व दीवाली, अंबर खेले अबला बाली॥दी० ॥ दे वपाल लणे इणे देव अजुवाली, नावे जगते विघन निवारी ॥ दी ॥२॥ देवपाल नणे श्ण कलिकाले ॥ आरती उतारी राजा कुमारपालें ॥ दी० ॥ तम घर मंगलिक अम घर मंगलिक, चतुर्विध संघ घर में गलिक दीवो ॥ दी ॥३॥शत ॥ ॥ अथ महोटी आरती ॥ ॥पहेली रे आरती प्रथम जिणंदा, शत्रुजयमंग ण षन जिणंदा ॥ जय जय आरती आदि जणं दकी ॥ दुसरी आरती मरुदेवी नंदा, जुगला रे धरम निवार करंदा ॥ जय० ॥१॥ तीसरी आरती त्रिनु वन मोहे, रत्न सिंहासन मारा प्रजुजीने सोहे ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003687
Book TitleStavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy